मुंबई , नवंबर 26 -- भारत के इतिहास के सबसे भयावह आतंकवादी हमलों में से एक 26/11 मुंबई हमलों को हुए सत्रह साल बीत गए। इतने दिनों बाद मुंबई आज भी उस भयानक रात को याद कर सहम जाता है जब 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मिलकर शहर काे निशाना बनाया थाचार दिनों तक चले इस आतंकी इस हमले में में 166 लोग मारे गये और 300 से अधिक घायल हुए। 26/11 हमलों के बाद भारत ने भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए अपनी सुरक्षा व्यवस्था में बड़े सुधार किए। खुफिया तंत्रों में तालमेल, तटीय निगरानी, रैपिड रिस्पॉन्स तंत्र और कम्युनिकेशन सिस्टम को मजबूत करना प्रमुख कदम थे। इनमें बड़े महानगरों में नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) के क्षेत्रीय केन्द्र स्थापित करना, समुद्री क्षेत्रों में सुरक्षा प्रणाली में सुधार करना और संभावित खतरों से निपटने की तैयारी को बेहतर बनाना शामिल था।
उस घटना को अंजाम देने वाले नौ आतंकवादी मुठभेड़ में मारे गये थे जबकि एकमात्र जिंदा पकड़ा गया हमलावर अजमल कसाब था। उसे बाद में न्यायालय ने मौत की सजा सुनाई और 21 नवंबर 2012 को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई।
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