पटना , अक्टूबर 05 -- बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर हुये मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पर संतोष जताते हुये मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत हर चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण अनिवार्य होता है और बिहार में यह प्रक्रिया 22 वर्षों बाद इतने व्यापक स्तर पर पूरी की गई है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री कुमार ने बताया कि राज्य के 243 विधानसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक में एक निर्वाचन पंजीकरण पदाधिकारी (ईआरओ) की निगरानी में यह प्रक्रिया पूरी की गई है। इसमें 90,207 बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) की सक्रिय भागीदारी रही।
उन्होंने कहा कि 'हमने पूरे राज्य में मतदाता सूची का गहराई से परीक्षण किया, जिससे 22 वर्षों बाद वास्तविक शुद्धीकरण संभव हो सका है। इससे पहले आखिरी बार ऐसा पुनरीक्षण वर्ष 2003 में किया गया था।'मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री कुमार ने बताया कि एसआईआर प्रक्रिया में राजनीतिक दलों और आम जनता को भी दावा- आपत्ति दर्ज कराने का पूरा अवसर दिया गया, जिससे पारदर्शिता और सहभागिता सुनिश्चित हुई।
उनके अनुसार, मतदाता सूची की शुद्धता स्वतंत्र, निष्पक्ष और भरोसेमंद चुनाव प्रक्रिया की नींव होती है। एसआईआर के जरिये फर्जी और दोहराव वाले नाम हटाए गये, नये पात्र मतदाताओं के नाम जोड़े गये और मृतकों या स्थानांतरित लोगों के नाम हटाए गये।
यह प्रक्रिया चुनाव आयोग की ओर से कानूनी दायित्वों के निर्वहन और लोकतंत्र की मजबूती के लिये एक अहम कदम मानी जा रही है।
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