कोंडागांव , अक्टूबर 01 -- छत्तीसगढ़ के बस्तर का ऐतिहासिक दशहरा पर्व, जो आदिवासी आस्था और सांस्कृतिक विरासत का अनूठा प्रतीक है, इस वर्ष भी श्रद्धा और उल्लास के साथ प्रारंभ हुआ है। परंपरा के अनुसार जिले के 12 परगनों से आए ग्राम देवी-देवताओं, मांझी-मुखियाओं, चालकी, गायता, पटेल-पुजारी एवं सैकड़ों श्रद्धालुओं को कोण्डागांव से जगदलपुर के लिए विधिवत पूजा-अर्चना कर रवाना किया गया।

विधायक लता उसेंडी और कलेक्टर नुपुर राशि पन्ना ने चौपाटी से देवी-देवताओं को पारंपरिक तरीके से विदाई दी। बस्तर दशहरा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आदिवासी संस्कृति और एकजुटता का महापर्व है। सदियों से देवी-देवताओं की सामूहिक उपस्थिति और विशेष अनुष्ठानों के माध्यम से यह परंपरा जनमानस को जोड़ती रही है।

इस अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष नरपति पटेल, मनोज जैन, पार्षद संतोष पात्रे, अपर कलेक्टर चित्रकांत चार्ली ठाकुर, एसडीएम अजय उरांव, आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त भी मौजूद थे।

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