नयी दिल्ली, सितंबर 26 -- आयुष मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने शुक्रवार को बताया कि आयुर्वेद प्रशिक्षण प्रत्यायन बोर्ड (एटीएबी) ने 113 आयुर्वेद पाठ्यक्रमों और 41 विदेशी चिकित्सकों को मान्यता दी है, इससे भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में वैश्विक विश्वास मजबूत हुआ है।
एटीएबी की प्रगति और आयुर्वेद के वैश्विक प्रसार के प्रयासों का आकलन करने के लिए आयोजित उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता प्रतापराव जाधव ने की। इस अवसर पर सचिव वैद्य राजेश कोटेचा भी मौजूद थे।
राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ (आरएवी) की निदेशक डॉ. वंदना सिरोहा ने बैठक में एटीएबी की उपलब्धियों और रणनीतिक दिशा को प्रस्तुत किया और विशेष रूप से राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग (एनसीआईएसएम) अधिनियम, 2020 (पूर्व में आईएमसीसी अधिनियम, 1970) के दायरे से बाहर आयुर्वेद पाठ्यक्रमों को मान्यता देने में इसकी भूमिका और विदेशों में अभ्यास करने वाले आयुर्वेद पेशेवरों के लिए हाल ही में शुरू की गई समर्थन योजना पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने बताया कि एटीबएी का गठन भारत और विदेशों में आयुर्वेद प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को मान्यता देने के लिए किया गया था।
श्रीमति सिरोहा ने बताया कि एटीएबी ने अब तक 113 आयुर्वेद प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को मान्यता दी है जिनमें 24 भारतीय संस्थानों के 99 पाठ्यक्रम और 2 देशों के 14 अंतर्राष्ट्रीय पाठ्यक्रम शामिल हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद शिक्षा के मानकीकरण और विश्वसनीयता में महत्वपूर्ण योगदान मिला है।
आयुष मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार एटीएबी ने विदेशों में कार्यरत योग्य आयुर्वेद पेशेवरों को औपचारिक रूप से मान्यता देने के उद्देश्य से एक संरचित अनुमोदन योजना लागू की है। यह योजना सुनिश्चित करती है कि चिकित्सक कौशल, ज्ञान और नैतिक मानकों के कठोर मानदंडों को पूरा करें। इस पहल के अंतर्गत विदेशों में कार्यरत कुल 41 आयुर्वेद चिकित्सकों को औपचारिक रूप से अनुमोदित किया गया है।
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