पटना , सितंबर 05 -- मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने आधार कार्ड को लेकर फैल रही भ्रांतियों को स्पष्ट करते हुये कहा है कि आधार कार्ड न तो नागरिकता, न जन्मतिथि और न ही स्थायी निवास का प्रमाण माना जा सकता है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री कुमार ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्ववर्ती निर्णयों के अनुसार यह पूरी तरह से वैकल्पिक दस्तावेज है, जिसे देना अनिवार्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह नियम विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के साथ- साथ सामान्य मतदाता सूची पुनरीक्षण में भी पूरी तरह लागू होता है। चुनाव आयोग ने पहले से ही स्पष्ट निर्देश जारी किये हैं कि मतदाता की पहचान कैसे सत्यापित की जाये और इसमें आधार एक वैकल्पिक विकल्प के रूप में मौजूद है, अनिवार्य नहीं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री कुमार ने कहा कि, 'कोई भी मतदाता यदि आधार नंबर देता है तो हम उसे स्वीकार करेंगे, लेकिन यह मान लेना कि आधार नागरिकता का प्रमाण है पूरी तरह गलत है। यह बात खुद सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दी है।'उन्होंने कहा कि आधार केवल पहचान का प्रमाण है, लेकिन यह नागरिकता, जन्मतिथि या स्थायी निवास का प्रमाण नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णयों में आधार अधिनियम का हवाला देते हुये यह स्पष्ट किया है कि आधार नंबर का उपयोग नागरिकता निर्धारण के लिये नहीं किया जा सकता।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री कुमार ने कहा कि किसी भी मतदाता की पात्रता का निर्धारण इस आधार पर होता है कि वह संबंधित मतदान केंद्र (बूथ) का निवासी है या नहीं। यही सबसे पहली और प्रमुख शर्त है। आयोग यह सुनिश्चित कर रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के सभी निर्देशों का शत- प्रतिशत अनुपालन किया जाये। यदि कोई नागरिक पहचान के लिये आधार कार्ड प्रस्तुत करता है तो उसे स्वीकार किया जायेगा, लेकिन यह स्वीकार करना कि आधार नागरिकता का प्रमाण है, कानूनी रूप से गलत है।
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