शिमला , नवंबर 26 -- धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन विपक्ष ने हिमाचल सरकार पर पंचायती राज और स्थानीय निकाय चुनाव को टालने का आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ स्थगन प्रस्ताव पेश किया।

हिमाचल विधानसभा में चर्चा तब जल्द ही तीखी राजनीतिक बहस में बदल गई, जब विपक्ष ने सरकार पर चुनावों से बचने, संवैधानिक प्रावधानों को कमजोर करने और राजनीतिक सुविधा के लिए आपदा से जुड़े प्रावधानों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

श्री शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार चुनावों में देरी करने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम की आड़ ले रही है। श्री शर्मा ने विरोधाभासों की ओर इशारा करते हुए कहा कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता संविधान की कॉपी लेकर पूरे देश में घूमते हैं लेकिन उसी राज्य में इसके सिद्धांतों की अनदेखी की जा रही है, जहां पार्टी की सरकार है।

उन्होंने तर्क दिया कि चुनाव टालने के लिए आपदा की स्थिति को सरकार का सही ठहराना गलत था। उन्होंने कहा कि स्कूल और आंगनवाड़ी सामान्य तरीके से काम कर रहे हैं और बच्चे क्लास कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि तब उनके माता-पिता वोट देने के लिए बाहर क्यों नहीं निकल सकते।

श्री शर्मा ने चुनाव में देरी के लिए सड़क बंद होने का हवाला देने के लिए भी सरकार की आलोचना की और इसे प्रशासनिक नाकामी बताया। उन्होंने कहा कि लोगों ने पहले भी वोट दिया है जब सड़कें नहीं थीं। उन्होंने सरकार से बहाने बनाकर नागरिकों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित न करने का आग्रह किया।

उन्होंने सरकार पर गलत प्राथमिकताएं तय करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हाल की आपदा के दौरान सबसे अधिक प्रभावित इलाका मंडी था, फिर भी सरकार ने अपने तीन साल पूरे होने पर कार्यक्रम करने के लिए उसी जिले को चुना।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने मंडी में जश्न नहीं मनाया बल्कि अपना गवर्नेंस विजन पेश किया।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित