शिमला , अक्टूबर 01 -- हिमाचल प्रदेश सरकार ने लाहौल और स्पीति की घेपन झील में हिमस्खलन पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने का निर्णय लिया है।

यह अत्याधुनिक प्रणाली हिमखंड टूटने या झील में अधिक पानी भरने की स्थिति में पूर्व चेतावनी प्रदान करेगी। इससे ग्लेशियर और झील के फटने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन जैसी संभावित आपदाओं के लिए समय पर तैयारी संभव हो सकेगी। इसरो ने पहले ही घेपन झील सहित कई ग्लेशियर झीलों को संवेदनशील सूची में शामिल किया है।

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत इस पायलट परियोजना को शुरू किया जा रहा है। उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, केंद्रीय जल आयोग और लाहौल-स्पीति प्रशासन इस परियोजना पर संयुक्त रूप से काम करेंगे।

यह प्रणाली उपग्रहों की मदद से काम करेगी और मौसम विभाग और प्रशासन को आपदा की पूर्व सूचना प्रदान करेगी, जिससे भविष्य में आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में मदद मिल सकेगी। यह हिमाचल प्रदेश की पहली पूर्व चेतावनी प्रणाली होगी।

घेपन झील समुद्र तल से 13,615 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और इसकी गहराई 100 मीटर से अधिक है। यह झील ऊँची बर्फ से ढके पहाड़ों और ग्लेशियरों से घिरी हुई है। जलवायु परिवर्तन और पिघलती बर्फ के कारण इसका आकार हर साल बढ़ रहा है। अगर यह झील फट जाती है, तो पानी सीधे चंद्रा नदी में बह जाएगा, जिससे लाहौल के कई गाँवों के साथ-साथ मनाली-लेह राजमार्ग और अटल सुरंग को भी नुकसान पहुँच सकता है।

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