शिमला , दिसंबर 2 -- हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने 953 ऐसे अयोग्य व्यक्तियों की पहचान की है, जो ज्यादातर हमीरपुर जिले के हैं और जिन्होंने खुद को निर्माण मजदूर एवं मनरेगा मजदूर के रूप में पंजीकृत कराकर कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाया था।

बोर्ड ने अब इन व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इनमें से कई व्यक्ति आर्थिक रूप से संपन्न बताए जा रहे हैं और उन्होंने उन योजनाओं का लाभ लिया जो केवल असली मजदूरों के लिए हैं। वास्तविक हितग्राहियों की पहचान के लिए शुरू किए गए व्यापक सत्यापन अभियान के तहत अब तक राज्य भर में 9,635 पंजीकरणों की जांच की जा चुकी है।

बोर्ड के अध्यक्ष नरदेव कंवर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कई अयोग्य लोगों ने कल्याणकारी योजनाओं का अनुचित लाभ उठाया था, इसलिए जमीनी स्तर पर सत्यापन जरूरी हो गया था। बोर्ड ने मार्च 2026 तक संपूर्ण जांच पूरी करने का लक्ष्य रखा है। हर महीने लगभग 240 सत्यापन किए जा रहे हैं। ये अनियमितताएं 2021-22 की हैं, जब पांच महीनों में लगभग 70,000 पंजीकरण हुए थे। इनमें से बड़ी संख्या अब संदेह के घेरे में है।

बोर्ड का अनुमान है कि हिमाचल प्रदेश में करीब 1.5 लाख पात्र निर्माण एवं मनरेगा मजदूर हैं, लेकिन पंजीकरण 4.57 लाख तक पहुंच गए हैं।

वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले आचार संहिता लागू होने तक इन हितग्राहियों को करीब 172 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके थे, जबकि इतनी ही राशि अभी लंबित है।

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