शिमला , अक्टूबर 10 -- हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेश्वर सिंह चंदेल के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।

अदालत ने उनकी मूल नियुक्ति में खामियों को स्वीकार करते हुए कहा कि कुलाधिपति द्वारा उनका कार्यकाल बढ़ाने का निर्णय कानूनी रूप से उचित था।

विश्वविद्यालय के डीन डॉ. धर्मपाल शर्मा द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया था कि मई 2022 में डॉ. चंदेल की प्रारंभिक नियुक्ति अवैध थी। चयन समिति का गठन राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार नहीं किया गया था। कानून के अनुसार समिति में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक को शामिल करना आवश्यक है, लेकिन तत्कालीन महानिदेशक ने इसके बजाय एक नामित व्यक्ति को भेजा था।

न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने हालांकि याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा डॉ. चंदेल की प्रारंभिक नियुक्ति को तीन साल से अधिक समय तक चुनौती नहीं देना एक प्रकार से मौन स्वीकृति है।

अदालत ने स्पष्ट किया कि कुलाधिपति का आदेश "पुनर्नियुक्ति" से नहीं, बल्कि कानून के तहत एक "विस्तार" से संबंधित था और विस्तार से संबंधित कानून किसी पदधारी को उत्तराधिकारी की नियुक्ति होने तक, अधिकतम एक वर्ष तक, पद पर बने रहने की अनुमति देता है। चूंकि विस्तार आदेश के समय डॉ. चंदेल वैध रूप से पद पर थे, इसलिए कुलाधिपति की कार्रवाई वैध थी।

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