नादौन(हि.प्र.), सितंबर 29 -- हमीरपुर जिले का एक ऐतिहासिक शहर नादौन अपनी समृद्ध पर्यटन संस्कृति और सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहां कि संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के चलते यह पर्यटकों को खूब लुभाता है। इसी कारण "आए नादौन जाए कौन" जैसी लोकप्रिय कहावत का जन्म हुआ। इस भावना का उल्लेख प्रसिद्ध सूफी कवि बुल्ले शाह ने अपनी कविता में भी किया है।
अब राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के मार्गदर्शन में, इस शहर को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं। संयोग से सुखविंदर सिंह सुक्खू नादौन से विधायक हैं। पर्यटन विभाग ने नादौन में एक पांच सितारा होटल और एक रिवर राफ्टिंग केंद्र स्थापित किया है। जबकि पंचायती राज विभाग, वन विभाग के माध्यम से, हडेटा में एक इको-टूरिज्म पार्क का निर्माण कर रहा है।
मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करते हुए, विकास खंड की ग्राम पंचायतों ने भी पर्यटन विकास और ऐतिहासिक जल स्रोतों के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ग्राम पंचायत चोडू में व्यास नदी के तट पर पताजी पतन स्थल पर 12 लाख रुपये की लागत से एक सुंदर व्यास धाम विकसित किया गया। ग्राम पंचायत फस्ते में, पांडव युग में निर्मित श्री बिल्वकेश्वर मंदिर के पास 15 फीट ऊंचा कैलाश पर्वत का प्रतीक, 22 फीट ऊंची गंगाधर ईश्वर शिव की मूर्ति और लगभग 40 लाख रुपये की लागत से एक शानदार पार्क स्थापित किया गया है।
ग्राम पंचायत गौना ने पखरोल में एक पुराने तालाब को लगभग 12 लाख रुपये की लागत से पुनरुद्धार किया और एक भव्य पार्क बनाया। वहां आगामी दिव्य वैकुंठ धाम में 14 फीट ऊंची शेषनाग पर लेटे हुए भगवान विष्णु की मूर्ति के साथ-साथ उनके सभी दस अवतारों की मूर्तियां होंगी। ग्राम पंचायत अमलैहड़ के भवड़ा में गुगा धाम का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें 20 फीट ऊंची गुगा महाराज की रथ पर सवार मूर्ति होगी, जो अपने आप में अनूठी है।
ग्राम पंचायत जलाड़ी ने लगभग 200 साल पुराने ऐतिहासिक नौन का पुनरुद्धार कर उसका सौंदर्यीकरण किया। जबकि ग्राम पंचायत मझियार भी एक पुराने तालाब को एक सुंदर पार्क में बदल रही है।
खंड विकास अधिकारी निशांत शर्मा का कहना है कि ये पहल मनरेगा और वित्त आयोग के फंडों के समन्वय के माध्यम से की गई हैं। इन प्रयासों ने न केवल प्राचीन जल स्रोतों को पुनर्जीवन दिया है, बल्कि ग्रामीण पर्यटन विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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