नैनीताल , अक्टूबर 10 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने चमोली जनपद के थराली में आयी भीषण आपदा के बाद 48 गांवों में मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अनुपालन रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये हैं।

अधिवक्ता सिद्धार्थ सिंह नेगी की ओर से दायर याचिका पर मुख्य न्यायाधीश जी. नरेन्दर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि चमोली जिला आपदा प्रभावित जोन है। यहां थराली जैसी आपदायें समय समय पर आती रही हैं।

विगत 22 से 28 अगस्त के बीच बादल फटने से यहां भारी तबाही हुई है। आपदा के चलते थराली के आसपास के 48 गांव प्रभावित हुए हैं। यहां आज भी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है। सड़कें और पुल बह गये हैं जो कि आज तक दुरूस्त नहीं हो पाये हैं।

इसके चलते ग्रामीण खाद्य पदार्थों की कमी से जूझ रहे हैं। लोग अभी भी राहत कैम्पों में रहने को मजबूर हैं। सरकार की ओर से सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है और ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं।

राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार राहत पहुंचाने और सड़कों की मरम्मत के लिये हरसंभव कोशिश कर रही है। आपदा राहत कार्यों को दुरूस्त करने के लिये टीमें काम कर रही हैं। सड़कों और पुलों को भी दुरूस्त किया जा रहा है।

केन्द्र सरकार की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार को आपदा मद से धन मुुहैया कराया गया है। बुनियादी सुविधायें मुहैया कराना राज्य सरकार का काम है।

अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्राकृतिक आपदा पर किसी का जोर नहीं होता है और उसके बाद हालात को संभालने में समय लगता है। हालांकि अदालत ने बार बार आपदा आने को गंभीर माना और कहा कि इसके लिये विशेष प्रयास करने की जरूरत है।

अंत में अदालत ने प्रदेश के आपदा प्रबंधन सचिव को निर्देश दिये कि वह इस मामले में अनुपालन रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करे। अदालत ने यह भी पूछा है कि आपदा के बाद क्षेत्र में क्या क्या कदम उठाये गये हैं और आपदा प्रभावित ग्रामीणों को क्या क्या सुविधायें मुहैया करायी जा रही हैं। अदालत ने विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

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