नैनीताल , दिसंबर 01 -- हाईकोर्ट का दबाव उस समय रंग लाया जब उत्तराखंड सरकार भवाली के प्रसिद्ध क्षय रोग अस्पताल (टीबी सेनिटोरियम) की जगह मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल बनाने के लिए तैयार हो गई। सरकार ने अस्पताल निर्माण के लिए अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी है। अदालत ने एक सप्ताह में महायोजना (मास्टर प्लान) पेश करने को कहा है।
प्रदेश सरकार की ओर से यह बात सोमवार को मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (स्टेट लीगल सर्विस अथाॅरिटी) की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। स्वास्थ्य महानिदेशक आज अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश हुई। उन्होंने अदालत को बताया कि सरकार ने मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल बनाने के लिए सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इसके लिए 250 करोड़ का प्रावधान किया गया है। 200 बिस्तरों वाले अस्पताल के लिए वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है।
निर्माण एजेंसी ब्रिज एंड रूफ (बीआर) को मास्टर प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। यह भी बताया गया कि टीबी सेनिटोरियम की भूमि पर इस अस्पताल का निर्माण किया जाएगा। विशेषज्ञ चिकित्सकों और पैरा मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति की जाएगी। जल्द ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जायेगा। अदालत ने अंत में महानिदेशक स्वास्थ्य से अगले सप्ताह मास्टर प्लान पेश करने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से एक पत्र लिखकर कहा गया था कि नैनीताल समेत प्रदेश के अन्य जिला अस्पतालों की हालत खस्ता है। सुविधाएं नहीं हैं। चिकित्सकों और मशीनों का भारी अभाव है। इसके बाद अदालत ने विगत 18 नवम्बर को सरकार को भवाली में मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल के लिए एक दिसंबर तक ठोस प्रस्ताव पेश करने के निर्देश दिए थे। भवाली टीबी सेनेटोरियम उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित एक ऐतिहासिक क्षय रोग (टीबी) अस्पताल है, जिसे ब्रिटिश सरकार ने 1912 में स्थापित किया था। यह चीड़ के घने जंगलों के बीच स्थित है और यहां की शुद्ध हवा और विशुद्ध वातावरण क्षय रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इस सेनेटोरियम में पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू सहित कई जानी-मानी हस्तियों का उपचार हुआ है।
अब केन्द्र सरकार की डाट योजना के तहत क्षय रोगियों का घर बैठे उपचार किया जा रहा है। इसके बाद इस पौराणिक सेनिटोरियम का महत्व कम हो गया है।
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