उदयपुर , अक्टूबर 14 -- पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि यह हमारा दुर्भाग्य है कि हम राजनीति से वशीभूत होकर कई महान विभूतियों को भुलाकर उन्हें सम्मान देने की वनिस्बत उन्हें अतीत के पन्नों में दफन कर देते हैं।

श्री कटारिया मंगलवार को यहां राजस्थान महिला परिषद में स्वतंत्रता सेनानी दम्पती दिवंगत परशराम त्रिवेदी और शांता त्रिवेदी की मूर्ति का अनावरण करने के बाद सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि उन जैसी विभूति मेवाड़ में पैदा होना गर्व की बात है। शांता त्रिवेदी ने आजादी के उस दौर 1947 में मेवाड़ में महिला शिक्षा की अलख जगाई जब महिलाएं घूंघट में रहती थी। उन्होंने महिलाओं को घूंघट के बाहर निकालकर शिक्षा के मार्ग पर अग्रसर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

श्री कटारिया ने कहा कि ऐसी विभूतियों को सम्मान देने के लिए हमें राजनीति से ऊपर उठ कर काम करना चाहिये ताकि उन्हें देखकर, पढ़क़र उनकी मूर्तियां देखकर ही सही नयी पीढ़ी को प्रेरणा मिल सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में परशरामजी और शांताजी का कोई सानी नहीं है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाजवादी विचारक एवं पूर्व विधायक मोहन प्रकाश ने परशरामजी और शांताजी त्रिवेदी की मूर्तियां लगाने पर प्रसन्नता व्यक्त की और उनके साथ बिताये कई पलों को साझा करते हुए स्वतंत्रता आन्दोलन में उनके महत्वपूर्ण योगदान का वर्णन किया।

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