लखनऊ , नवम्बर 30 -- इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने फैजाबाद जिले में वर्ष 1980 में हुई गैरइरादतन हत्या मामले में पांच साल की सजा पाए एकमात्र जीवित व्यक्ति राम जियावन की अपील मंजूर करके बरी कर दिया।
रामजियावन को 1982 में सत्र अदालत ने पांच अन्य आरोपियों के साथ पांच साल की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। मामले में बाकी पांच आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है। न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह फैसला एक मात्र सजायाफ्ता राम जियावन की अपील पर दिया। अपील में फैजाबाद की सत्र अदालत से अपीलकर्ता को सुनाई गई सजा के फैसले को चुनौती दी गई थी।
अपीलकर्ता के अधिवक्ता राजेश कुमार द्विवेदी ने बताया कि फैजाबाद के महाराजगंज थानाक्षेत्र में 27 नवंबर 1980 को जमीन के विवाद में राम अवतार की लाठी, डंडे व फरसे से हत्या हुई थी। अधिवक्ता का कहना था कि मामले में ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्यों का उचित मूल्यांकन नहीं किया। ऐसे में अपीलकर्ता के खिलाफ पर्याप्त सबूत न होने की वजह से वह दोषमुक्त किए जाने योग्य है। उधर, सरकारी वकील ने अपील का विरोध किया। हाईकोर्ट ने अपीलकर्ता को दी गई सजा के सत्र अदालत के फैसले को निरस्त करके अपीलकर्ता को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
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