नयी दिल्ली , अक्टूबर 6 -- नीति आयोग के मुख्य अधिशासी अधिकारी (सीईओ) बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने सोमवार को कहा कि सेवा निर्यात, एयरोस्पेस और उच्च-मूल्य के विनिर्माण क्षेत्र ने वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत के निर्यात कारोबार की मजबूती और जुझारूपन को बढाया है।

श्री सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत को वैश्विक बाजार में मांग के उभरते स्वरूप के साथ तेज़ी से तालमेल बिठाना होगा, अपने निर्यात आधार में विविधता लानी होगी और गैर-चमड़ा फुटवियर तथा वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ानी होगी । उन्होंने भू-राजनीतिक बदलावों को लेकर और अधिक सतर्क रहने की जरूरत पर भी बल दिया।

श्री सुब्रह्मण्यम यहां वित्तीय वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च, 2025) के लिए नीति आयोग की रिपोर्ट- 'ट्रेड वॉच क्वार्टरली' का चौथा संस्करण जारी कर रहे थे। इस संस्करण में देश के चमड़ा और फुटवियर निर्यात का विशेष रूप से आकलन किया गया है। यह क्षेत्र 44 लाख लोगों को रोजगार देता है और इसका निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रसंस्कृत चमड़ा और विशिष्ट परिधानों के क्षेत्र में भारत प्रतिस्पर्धी बना हुआ है, लेकिन 296 अरब डॉलर के वैश्विक बाजार में भारत की कुल हिस्सेदारी अभी मात्र 1.8 प्रतिशत ही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक बाजार में गैर-चमड़ा और पारिस्थितिकी की दृष्टि से स्वस्थ उत्पादों की ओर बढ़ते तेज रुझान के साथ, भारत के सामने चुनौतियां अधिक और अवसर कम हैं।

स्थिति से निपटने के लिए इस क्षेत्र की सूक्ष्म , लघु और मझौली इकाइयों को मज़बूत करने, अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने तथा हरित एवं डिज़ाइन-संचालित उत्पादों के विकास पर ध्यान दे कर वैश्विक बाजार में उपस्थिति के विस्तार की रणनीति अपनाना महत्वपूर्ण है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी-मार्च, 2025 की तिमाही के दौरान, भारत का व्यापार प्रदर्शन मजबूत रहा। इस दौरा कुल व्यापार (वस्तु एवं सेवा सहित) 441 डॉलर का रहा जो साल-दर-साल 2.2 प्रतिशत की बढ़त है।

इस दौरान खनिज ईंधन और कार्बनिक रसायनों में गिरावट के कारण वस्तुओं व्यापारिक निर्यात में मामूली कमी देखी गयी, जबकि विद्युत मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स और अनाज जैसे क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई। परमाणु रिएक्टरों, विद्युत मशीनरी और अकार्बनिक रसायनों की अधिक मांग की वजह से आयात में मामूली वृद्धि हुई।

तिमाही के दौरान उत्तरी अमेरिका भारत के लिए निर्यात का सबसे मजबूत बाजार रहा जिसमें सालाना आधार पर 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी। यूरोपीय संघ, खाड़ी सहयोग परिषद ( जीसीसी ) और आसियान के बाजारों में निर्यात धीमा रहा।

आलोच्य तिमाही में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ हुए व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सेपा) के तहत वहां से सोने के आयात में तेजी दिखी और उसने इस मामले में रूस को भारत के लिए सोने के दूसरे सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता की जगह से बेदखल कर दिया।

इस दौरान इलेक्ट्रानिक्स की मांग में तेजी के चलते चीन से आयात में उछाल दिखा।

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