इटावा , दिसंबर 25 -- इटावा महोत्सव में आयोजित पर्यावरण छात्र संसद ने देश के पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए अरावली की पहाड़ियों की सुरक्षा को लेकर सख्त कानून बनाए जाने की जरूरत पर बल दिया है।
विशेषज्ञों ने पर्यावरण को बचाने के लिए कड़े नियम कायदे कानून बनाने की वकालत की है। पर्यावरण संसद में देश व्यापी अरावली पहाड़ियों पर वन विशेषज्ञों ने गहन चर्चा की और दिल्ली में बिगड़े मौसम को लेकर पर्यावरण नीति को जिम्मेदार ठहराया।
विशेषज्ञों ने कहा कि केंद्र सरकार ने जिस तरह से अरावली की पहाड़ियों को सुरक्षित रखने के लिए नियम कायदे का हवाला देते हुए रोक लगाई है, जाहिर है कि इसका बड़ा फायदा देश के पर्यावरण पर पड़ेगा। पर्यावरण संसद में एक दर्जन से अधिक पर्यावरण प्रेमियों को सम्मानित भी किया गया है।
पर्यावरण छात्र संसद के मुख्य अतिथि इटावा सफारी पार्क के निदेशक डॉ.अनिल कुमार पटेल ने कहा कि पर्यावरण को लेकर के राजधानी दिल्ली में स्थितियां कितनी विकराल हो चुकी है कि अरावली की पहाड़ियों को भी काटने की बात कही जाने लगी है लेकिन इसके बावजूद भी 'अरावली सेव' अभियान चलाया गया है, जिससे यह बात साबित होती है कि लोग पर्यावरण के प्रति कहीं ना कहीं जागरूक बने हुए हैं।
डा. पटेल ने कहा " हम प्रकृति के जितने करीब रहेंगे उतने ही प्रदूषण से बचेंगे। इसके लिए हमें अपनी जीवन शैली में भी थोड़ा बदलाव करना पड़ेगा अगर ऐसा ना हुआ तो वह दिन भी आएगा जब ऑक्सीजन पर भी टैक्स देने की जरूरत होगी। अच्छी बात यह है कि नई पीढ़ी पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूक है और प्रदूषण से बचने के लिए भी प्रयास कर रही है। विकास जरूरी है लेकिन विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। "प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी विकास नायक ने कहा कि प्रदूषण रोकने और पर्यावरण संरक्षण के लिए कई कानून बनाए गए हैं। इन पर अमल करके प्रदूषण को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ शिकायत ही नहीं सहयोग की भी जरूरत है। वन विभाग हर साल पौधे लगता है और यथासंभव उनकी देखरेख भी करता है जरूरी यह है कि इस कार्य में हम सभी आगे आएं। वन विभाग के कार्यक्रमों में बच्चों को भी शामिल किया जाएगा जिससे यह कार्य आगे बढ़े।
इटावा सफारी के डिप्टी डायरेक्टर डा. विनय सिंह ने कहा "हम सभी को मिलजुल कर प्रदूषण को रोकना है और पर्यावरण को संरक्षित करना है। पानी और ऊर्जा की बर्बादी को भी रोकता है।" कृषि इंजीनियरिंग कॉलेज के डीन एनके शर्मा ने कहा कि अब जैविक खेती और मोटे अनाज पर जोर दिया जा रहा है। यह समय की जरूरत है जिन पुरानी पद्धतियों को हमने भुला दिया है उन्हें फिर अपने से ही पर्यावरण भी सोच रहेगा और सेहत भी सुधारी।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित