नयी दिल्ली , दिसंबर 25 -- हवा में सल्फेट, अमोनियम, मौलिक कार्बन और मिट्टी की धूल जैसे पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) जब एक साथ मौजूद होते हैं, तो वे अकेले पीएम2.5 की तुलना में बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के लिए ज्यादा खतरनाक होते हैं।
जामा नेटवर्क ओपन जर्नल में प्रकाशित निष्कर्षों में बताया गया है कि लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण इनके परिणाम ज्यादा खतरनाक होते हैं। इसका प्रभाव उन बुजुर्गों में काफी अधिक देखा गया जो पहले से ही 'कार्डियोमेटाबोलिक' और 'न्यूरोलॉजिकल' विकारों जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं।
अमेरिका के एमोरी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा, "हमारे परिणाम पुष्टि करते हैं कि पीएम2.5 के साथ उपरोक्त घटकों का मिश्रण अवसाद के जोखिम को अकेले पीएम2.5 की तुलना में बहुत अधिक बढ़ा देता है। इसके लिए मिट्टी की धूल, सल्फेट और मौलिक कार्बन सबसे अधिक जिम्मेदार थे।"गौरतलब है कि दो करोड़ 36 लाख से अधिक बुजुर्गों पर किए गए इस शोध में बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए हानिकारक पीएम2.5 घटकों के कम करने या इसे नियंत्रित करने का प्रस्ताव दिया गया है।
अध्ययन में विस्तार से बताया गया है कि विभिन्न बीमारियों, विशेष रूप से उच्च रक्तचाप, हृदय रोगों (जैसे स्ट्रोक और कंजस्टिव हार्ट फेल्योर), न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों (जैसे अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया), और श्वसन रोगों (जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) से पीड़ित लोगों को कुल पीएम2.5 द्रव्यमान और इसके प्रमुख घटकों के संपर्क में आने पर अवसाद का काफी अधिक जोखिम था।
शोधकर्ताओं ने कहा, "हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियां समग्र पीएम2.5 स्तरों और विशिष्ट कण घटकों के साथ परस्पर क्रिया कर सकती हैं, जिससे अवसाद का विकास तेज हो जाता है।"विभिन्न प्रकार के प्रदूषक कैसे योगदान दे सकते हैं, इस पर विस्तार से बताते हुए अध्ययन में कहा गया है कि सल्फेट केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है। सल्फेट मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन के दहन से बनने वाला एक 'माध्यमिक अकार्बनिक एरोसोल' है। साथ ही, यातायात और बायोमास जलाने से बड़ी मात्रा में उत्सर्जित होने वाला मौलिक कार्बन न्यूरोटॉक्सिक प्रभाव डाल सकता है।
अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि यातायात साधनों द्वारा छोड़े गए मौलिक कार्बन कण बेहद छोटे होते हैं (लगभग 50 नैनोमीटर), जो उन्हें रक्त-मस्तिष्क बाधा (ब्लड-ब्रेन बैरियर) को आसानी से पार करने और संभावित रूप से 'न्यूरोटॉक्सिक' प्रभाव पैदा करने की अनुमति देते हैं।
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