नई दिल्ली , नवंबर 23 -- किसानों के मसीहा दीनबंधु सर चौधरी छोटूराम की 145वीं जयंती के अवसर पर रविवार को राजधानी दिल्ली के मावलंकर हॉल में ऐतिहासिक जाट-गुर्जर एकता सम्मेलन का आयोजन किया गया।

पहली बार आयोजित इस संयुक्त सम्मेलन में दिल्ली सहित राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से बड़ी संख्या में महिलाएं एवं पुरुष शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं चौधरी छोटूराम के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। सम्मेलन का संचालन अखिल भारतीय गुर्जर महासभा गौतम बुध नगर जिला अध्यक्ष अशोक भाटी ने किया, जबकि आयोजन व्यवस्था में धर्मवीर सिंह का विशेष योगदान रहा।

सम्मेलन की अध्यक्षता रामेश्वर सरपंच ने की। मंच पर पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह, पूर्व मंत्री हरिश्चंद्र भाटी, डॉ. यशवीर सिंह (अध्यक्ष, गुर्जर महासभा), युद्धवीर सिंह (राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय जाट महासभा) तथा समाजसेवी चौधरी राजाराम मील समेत अनेक प्रमुख लोग मौजूद रहे।

वक्ताओं ने जाट और गुर्जर समाज के साझा इतिहास, सामाजिक योगदान और दोनों समाजों के बीच एकता को मजबूत करने पर बल दिया। बाबू राम आर्य, राजपाल कसाना, सुधीर पंवार, राजेश चौधरी, सत्यवती, राजेंद्र सुरा सहित कई वक्ताओं ने सामाजिक कुरीतियों जैसे- दहेज, मृत्युभोज और नशे पर रोक लगाने का संकल्प दोहराया।

पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह ने कहा कि समाज को आर्थिक और राजनीतिक रूप से मजबूत होना होगा, साथ ही "कलम की ताकत" यानी शिक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। डॉ. यशवीर सिंह ने दोनों समाजों को एकजुट होकर आगे बढ़ने की आवश्यकता जताई।

युद्धवीर सिंह ने कहा कि दोनों समाज के गोत्र एक ,कार्य क्षेत्र कृषि रहा ,पूर्वज एक है लेकिन फिर भी एक दूसरे के बीच एकता नहीं होने दे रहे ताकि राजनीतिक रोटी सेंकी जा सके। उन्होंने कहा कि जाट- गुर्जर एक ही पूर्वजों की संतान हैं। उन्होंने भाईचारे पर जोर देते हुए एक रहने का आह्वान किया। इस दौरान अन्य प्रदेशों में भी जाट और गुर्जर सम्मेलन आयोजित किये जायेगे।

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