रांची , नवम्बर 27 -- झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने पर आजसू पार्टी ने तीखा हमला बोला है।

आजसू के मुख्य प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने कहा है कि यह एक साल ही नहीं बल्कि विगत छह वर्ष झारखंड के लिए "काला अध्याय" रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार का सिस्टम फेल है। राज्य में विकास ठप है। जमीन-कोयला-बालू माफिया का बोलबाला दिख रहा है। राज्य के डीजीपी पर गैंगस्टर को संरक्षण देने का आरोप लगा है।

डॉ भगत ने कहा कि गरीबों को घर नहीं मिला। युवाओं को न तो 5 लाख नौकरी मिली और ना छात्रवृत्ति मिल रही। वित्तीय मोर्चे पर भी सरकार पूरी तरह फेल साबित हुई है। केंद्र से मिलने वाली हजारों करोड़ की राशि का सही उपयोग नहीं हुआ। योजनाएं केवल कागजों पर हैं, धरातल पर कुछ नहीं। डीएमटी फंड, मनरेगा जैसी कल्याणकारी योजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। सरकारी खजाना खाली है, कर्मचारियों को समय पर वेतन तक नहीं मिल रहा।

डॉ भगत ने कहा कि हेमंत सरकार में भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार बन चुका है। राज्य सरकार समाज को बांटने की साजिश कर जनादेश का अपमान कर रही है। राज्य में सामाजिक समरसता घट रही है। सरकार को महिलाओं और किसानों की चिंता भी नहीं। मईया योजना का पैसा देने में सरकार का पसीना छूट रहा है।

डॉ भगत ने कहा कि सरकार विगत 3 वर्षों से नगर निकाय चुनाव टाल रही है और ओबीसी को आरक्षण देने में आनाकानी कर रही है। महिला आयोग, युवा आयोग, सूचना आयोग जैसे महत्वपूर्ण आयोग तथा बोर्ड-निगम खाली हैं। आजसू के दबाव में पिछड़ा आयोग भरा गया। झारखंड आंदोलनकारियों के चिन्हितिकरण में गड़बड़ी की शिकायतें आ रही हैं।

उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने केवल भ्रष्टाचार और आदिवासी-मूलवासी विरोधी नीतियों को बढ़ावा दिया है। आजसू का आरोप है कि पिछले एक साल में राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। बलात्कार, हत्या, लूट और मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं, लेकिन सरकार ने अपराधियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। पुलिस जमीन माफिया और बालू-कोयला माफिया के इशारे पर काम कर रही है।

डॉ भगत ने कहा कि आदिवासी अस्मिता और जल-जंगल-जमीन के मुद्दे पर भी हेमंत सरकार ने धोखा दिया है। 1932 का खतियान, विस्थापन नीति, सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन जैसे वादे केवल चुनावी जुमले साबित हुए। अवैध खनन और बालू माफिया बेलगाम हैं, जबकि आदिवासी युवा बेरोजगार घूम रहे हैं।

डॉ भगत ने कहा कि सरकार ने वायदा किया था कि हर प्रखंड में कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाएगा। पलामू, चाईबासा, गढ़वा, गिरिडीह, दुमका, साहेबगंज एवं देवघर को 25 हजार करोड़ रुपए के लागत से विश्वस्तरीय शहर के रूप में विकसित किया जाएगा। 25 करोड़ रुपए के सरकारी टेंडर सिर्फ स्थानीय लोगों को दिए जाएगा। यह सब वायदे झूठे साबित हुए हैं।

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