भोपाल, सितंबर 26 -- लोकतान्त्रिक अधिकार मोर्चा (डीआरएफ), मध्य प्रदेश, जो कि विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों का एक समूह है, 27 सितंबर 2025 (शनिवार) को एक विशाल "मनुवादी संघी फ़ासीवाद विरोधी जन सम्मेलन" का आयोजन कर रहा है। यह सम्मेलन नार्मदीय भवन, सेकंड स्टॉप, भोपाल में सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा। सम्मेलन का उद्देश्य संविधान, लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए सभी को एकजुट करना है। इसमें प्रदेश भर से लगभग 300 प्रतिनिधि भाग लेंगे।
इस सम्मेलन में प्रमुख वक्ता और विशेष अतिथि के रूप में कई जाने-माने व्यक्तित्व शामिल होंगे। इनमें डॉ. रतनलाल, प्रोफेसर एवं इतिहासकार (संस्थापक एवं प्रधान संपादक, अंबेडकरनामा), डॉ. जितेंद्र मीणा, प्रोफेसर एवं इतिहासकार (लेखक, 'राष्ट्र-निर्माण में आदिवासी'), बुद्धसेन पटेल, बहुजन नेता (पूर्व सांसद, रीवा, मध्य प्रदेश) और भोपाल के जाने-माने वकील व मानवाधिकार कार्यकर्ता एडवोकेट सैयद साज़िद अली शामिल हैं। बहुजन इंटेलक्ट के संस्थापक डॉ. (मेजर) मनोज राजे भी विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। सम्मेलन में एक जन घोषणा पत्र जारी किया जाएगा और विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रस्ताव भी पारित किए जाएंगे।
लोकतान्त्रिक अधिकार मोर्चा की ओर से विजय कुमार ने बताया कि यह सम्मेलन एक ऐसे समय में हो रहा है जब देश की आत्मा पर हमला हो रहा है। हमारी गंगा-जमुनी तहजीब, साझा विरासत, मनुवाद के खिलाफ हमारा सदियों पुराना संघर्ष और डॉ. बाबासाहब आंबेडकर द्वारा बनाया गया संविधान सब कुछ खतरे में है। यह हमला किसी बाहरी ताकत का नहीं, बल्कि अंदरूनी मनुवादी फासीवादी शक्तियों का है, जो लोकतंत्र को भीतर से खोखला कर रही हैं। पिछले दस वर्षों से अधिक समय से सत्ता में काबिज भाजपा जो आरएसएस की राजनीतिक कठपुतली है के राज में हमारा समाज और लोकतंत्र दम तोड़ रहा है। आज भारत संघी फासीवाद की मजबूत गिरफ्त में है, जिसके परिणामस्वरूप मेहनतकश जनता शोषण और लूट का शिकार हो रही है। अल्पसंख्यक (विशेषकर मुसलमान), दलित-आदिवासी और महिलाएं लगातार बढ़ती फासीवादी बर्बरता के सबसे बड़े शिकार बन रहे हैं ।
मोर्चे के वरिष्ठ साथी आंनद श्याम ने जानकारी देते हुए बताया कि देश में बेरोजगारी और महंगाई चरम पर है। इन समस्याओं से जनता का ध्यान भटकाने के लिए फासीवादी ताकतें जनता को मंदिर-मस्जिद, लव जिहाद, धर्मान्तरण जैसे भावनात्मक मुद्दों में उलझाए रखती हैं । वहीं, दूसरी ओर, वे 'राष्ट्र की संपत्ति' अपने पसंदीदा पूंजीपतियों को सौंपने का काम करती हैं। यह फासीवाद केवल सामाजिक विभाजन तक सीमित नहीं है, बल्कि हमारी संवैधानिक संस्थाओं जैसे संसद, न्यायपालिका और चुनाव आयोग पर भी नियंत्रण स्थापित कर रहा है।
मोर्चा ने सभी मजदूरों, किसानों, दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, युवाओं और बुद्धिजीवियों से इस जन सम्मेलन में शामिल होने की अपील की है । इसका लक्ष्य एक व्यापक, एकजुट और मजबूत जन प्रतिरोध खड़ा करना है ताकि डॉ. बाबासाहब आंबेडकर और भगत सिंह के सपनों का भारत साकार हो सके ।
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