नयी दिल्ली , नवंबर 29 -- देश के प्रधानमंत्रियों की विरासत को संरक्षित और प्रदर्शित करने के लिए समर्पित प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) दुर्लभ अभिलेखीय संग्रह के तहत व्यक्तिगत पत्र-पत्राचार, भाषण, डायरियां और समाचार पत्रों में प्रकाशित लेख आदि की व्यापक डिजिटलीकरण परियोजना शुरू कर रहा है और इसे शोधार्थियों के उपलब्ध कराया जाएगा।

आधिकारिक बयान के अनुसार पुस्तकालय योजना के तहत अपने विशाल अभिलेखीय संसाधनों की व्यापक स्तर तक उपलब्धता बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। यह पुस्तकालय दुर्लभ अभिलेखीय सामग्रियों का दुनिया का सबसे बड़ा संग्रह है, जिसमें 1,300 से ज़्यादा व्यक्तियों और संगठनों से संबंधित 2.5 करोड़ से ज़्यादा दस्तावेज़ हैं। आधुनिक और समकालीन भारतीय इतिहास का अध्ययन करने वाले शोधकर्ता और विद्वान इस ऐतिहासिक पहल के तहत इस व्यापक डिजिटलीकरण परियोजना का लाभ उठा रहे हैं। पुस्तकालय अक्सर उपयोग की जाने वाली सामग्री का बड़ा हिस्सा पहले ही डिजिटलीकृत, अपलोड और नव-विकसित प्रणाली के माध्यम से उपलब्ध करा चुका है।

उपयोगकर्ताओं की सुविधा के लिए एक समर्पित सूचना प्रौद्योगिकी मंच बनाया गया है जिसमें पंजीकृत विद्वान विशिष्ट अभिलेखीय दस्तावेज़ देखने के लिए ऑनलाइन अनुरोध प्रस्तुत कर सकते हैं। अनुरोध स्वीकार होने के बाद, अनुरोध कर्ता को केवल देखने के लिए उसके कंप्यूटर पर सामग्री उपलब्ध करा दी जाएगी।

पुस्तकालय के निदेशक अश्विनी लोहानी का कहना है कि डिजिटल अभिलेखागार अमूल्य ऐतिहासिक संसाधनों की सुरक्षा करने तथा शोधकर्ताओं, विद्वानों और पढ़ने के शौकीन लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि यह पहल उच्च गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान को बढ़ावा देने और अभिलेखीय सामग्रियों तक आसान पहुंच से आधुनिक और समकालीन भारत के अध्ययन को मजबूत करने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।

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