जयपुर , नवंबर 27 -- राजस्थान के जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा है कि प्रदेश के शेखावाटी अंचल में यमुना जल लाने के लिए गठित संयुक्त टास्क फाॅर्स द्वारा डीपीआर को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

श्री रावत ने गुरुवार को नोएडा में आयोजित राजस्थान के लिए अतिमहत्वपूर्ण अपर यमुना रिव्यू कमेटी की नौवीं बैठक में भाग लिया और यह बात कही। बैठक में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री सी आर पाटिल, राजस्थान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और हरियाणा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के भागीरथ प्रयासों से वर्षों से लंबित यमुना जल अपवर्तन कार्य को धरातल पर लाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

यहां जारी सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार उन्होंने कहा कि श्री शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार प्रदेश में अंतिम छोर तक जल उपलब्धता की दिशा में महत्वपूर्ण फैसले ले रही हैं। यमुना जल की यह परियोजना राज्य सरकार की प्राथमिकता में है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष फरवरी में यमुना जल के सम्बंध में एक ऐतिहासिक एमओयू के अनुरूप हरियाणा और राजस्थान सरकार द्वारा संयुक्त टास्क फॉर्स का गठन किया गया। इस फाॅर्स द्वारा ही डीपीआर को अंतिम रूप दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के शेखावाटी अंचल सीकर, चूरू, झुंझुनूं सहित आसपास के क्षेत्रों की जल सुरक्षा के लिए यमुना जल बेहद आवश्यक है।

श्री रावत ने बताया कि हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड में यमुना एवं इसकी सहायक नदियों पर तीन परियोजनाएं-रेणुकाजी, लखवार और किशाऊ का निर्माण किया जा रहा है। राज्य सरकार ने तीनों परियोजनाओं में अपनी हिस्सेदारी की राशि स्वीकृत कर दी है ताकि समयबद्ध कार्य पूरे हो सकें।

उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार द्वारा इस तंत्र की डीपीआर तैयार करने के लिए कार्यादेश जारी किये जा चुके हैं। यह डीपीआर दोनों राज्यों की संयुक्त टास्क फॉर्स के समन्वय से तैयार हो रही है। इसे शीघ्र ही केन्द्रीय जल आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस तंत्र से न केवल बाढ़ में व्यर्थ बहकर जा रहे जल का सदुपयोग संभव होगा बल्कि भविष्य की इन परियोजनाओं के जल को राजस्थान में लाकर विभिन्न जिलों में जल सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।

श्री रावत ने हथिनी कुण्ड बैराज से राजस्थान में यमुना जल अपवर्तन के लिए रेणुकाजी, लखवार और किशाऊ को राष्ट्रीय परियोजनाओं का अभिन्न अंग मानकर वित्तीय सहायता प्रदान कराने का आग्रह किया। साथ ही, ओखला हैड से गुड़गांव नहर प्रणाली के जीर्णोद्धार कराने को भी अत्यन्त आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि नहर की क्षमता बढ़ने से राजस्थान को आवंटित जल भी प्राप्त हो सकेगा।

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