नयी दिल्ली , नवम्बर 29 -- मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर विपक्ष के मौजूदा तेवरों को देखते हुए संसद के शीतकालीन सत्र में भी इसके छाये रहने की संभावना है। इस सत्र में विपक्ष दिल्ली कार विस्फोट, राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की समस्या और नये श्रम कानूनों जैसे मुद्दों को भी प्रमुखता से उठायेगा।

विपक्ष और सरकार ने सोमवार से शुरू हो रहे संक्षिप्त सत्र के लिए कमर कस ली है और दोनों पक्ष अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। शीतकालीन सत्र एक दिसम्बर से 19 दिसम्बर तक चलेगा और इस दौरान केवल 15 बैठकें होंगी। विपक्ष सत्र को संक्षिप्त रखे जाने पर भी सरकार पर हमलावर है।

सरकार ने जहां इस सत्र में कॉरपोरेट कानून, परमाणु ऊर्जा और शिक्षा सहित दस विधेयकों को पारित कराने का एजेन्डा तैयार किया है वहीं विपक्ष एसआईआर, ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लगातार किये जा रहे दावों, चीन के साथ संबंधों, आतंकवाद, प्रदूषण और अन्य मुद्दों पर सरकार को कठघरे में खड़ा करने की तैयारी में है।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, समाजवादी पार्टी और कुछ अन्य दलों ने एसआईआर के मुद्दे पर सरकार और चुनाव आयोग के बीच सांठ-गांठ का आरोप लगाते हुए इसे संसद में जोर शोर से उठाने का संकेत दिया है। एसआईआर के मुद्दे पर तृणमूल के एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मुलाकात भी की है। विपक्ष एसआईआर के दौरान बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) पर दबाव का मुद्दा भी उठा रहा है।

कांग्रेस ने शीतकालीन सत्र से पहले संसद में पार्टी की रणनीति बनाने के लिए रविवार को पार्टी संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी के आवास पर 'संसदीय रणनीतिक समूह' की बैठक बुलाई है। संकेत है कि कांग्रेस अन्य विपक्षी दलों के साथ राज्यसभा और लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान सैन्य कार्रवाई रोकने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार किये जा रहे दावों, चीन के साथ व्यावसायिक संबंधों तथा अन्य मुद्दों पर चर्चा की मांग करेगी।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी दिल्ली में प्रदूषण को गंभीर मुद्दा बताते हुए सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस पर संसद में चर्चा कराने की मांग कर चुके हैं।

दूसरी ओर सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी ने भी सत्र की रणनीति बनाने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर बुधवार को पार्टी नेताओं के साथ बैठक की। संसदीय कार्य मंत्री किरेण रिजिजू ने संसद सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार की ओर से रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।

सरकार की ओर से बार-बार यह स्पष्ट किया जा चुका है कि वह राष्ट्रीय हित के सभी मुद्दों पर नियमानुसार संसद में चर्चा कराने को तैयार है। एसआईआर के मुद्दे को चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक निकास की प्रक्रिया का हिस्सा बताते हुए सरकार का कहना है कि इस पर संसद में चर्चा नहीं कराई जा सकती। सरकार का यह भी कहना है कि एसआईआर का मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष भी है। पिछले सत्र में भी इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्ष ने संसद की कार्यवाही में बाधा डाली थी।

सत्र के दौरान सरकार के एजेन्डे में 12 विधेयक विचार के लिए सूचीबद्ध हैं जिनमें से दो जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2025 औरदिवालिया एवं दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2025 पहले से ही लोकसभा की प्रवर समिति के पास हैं। सरकार वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अतिरिक्त अनुदानों की पहली मांगों को भी सदन में चर्चा और मतदान के लिए रखेगी।

सत्र के दौरान पेश किये जाने वाले विधेयकों में कॉरपोरेट कानून (संशोधन) विधेयक 2025, सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड विधेयक 2025 ,बीमा कानून (संशोधन) विधेयक 2025, मणिपुर जीएसटी (संशोधन) विधेयक 2025 , राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा आयोग विधेयक 2025 , परमाणु ऊर्जा विधेयक 2025 , राष्ट्रीय राजमार्ग (संशोधन) विधेयक, 2025 , निरसन एवं संशोधन विधेयक 2025, मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) विधेयक 2025 शामिल है।

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