उदयपुर , दिसम्बर 24 -- जब एक कलाकार आंखों पर पट्टी बांध सैकड़ों दर्शकों की भीड़ में से एक के पास रखे नारियल को परंपरागत वाद्ययंत्रों की धुन पर चलते हुए ढूंढ़ लाया तो दर्शक न सिर्फ चकित रह गए, बल्कि तालियों की गड़गड़ाहट से इस हुनर की जमकर तारीफ भी की।

उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि यह आश्चर्यजनक प्रस्तुति महाराष्ट्र की लोक संस्कृति की एक पहचान बनी हुई है, जिसका जादू उदयपुर के शिल्पग्राम उत्सव में छा गया है। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर की ओर से आयोजित किए जा रहे दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के चौथे दिन बुधवार की शाम को मुक्ताकाशी मंच पर मुख्य कार्यक्रम में पेश की गई।

इसके साथ ही अन्य राज्यों की प्रस्तुतियों ने भी 'लोक के रंग-लोक के संग' में लोक रंजन की बयार बहा दी। इनमें गुजरात के प्रसिद्ध माता रानी की आराधना में किए जाने वाले गरबा एवं जम्मू के पारंपरिक डोगरी लोक नृत्य जगरना ने दर्शकों को खूब झुमाया। वहीं, राजस्थान के नगाड़ा वादन, सहरिया आदिवासी संस्कृति को उकेरता सहरिया स्वांग एवं ठेठ ग्रामीण संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती सफेद आंगी गेर ने भी सभी का मन मोह लिया।

गोवा के नदी पार कराने को नाविक से गुजारिश करती महिलाओं का देखनी, मणिपुर के सारस्वत ब्राह्मणों का परंपरागत लाई हारोबा और त्रिपुरा के सिर पर बोतल रख बेमिसाल संतुलन के लोक नृत्य होजागिरी और ओडिशा की जनजातीय संस्कृति को उकेरते संभलपुरी नृत्य की प्रस्तुतियों ने दर्शकों की खबू वाहवाही लूटी।

वहीं, महाराष्ट्र की फोक प्रस्तुति मल्लखंभ के कलाकारों के करतब देख दर्शक खूब रोमांचित हुए, तो हरियाणा की प्रसिद्ध घूमर और राजस्थान के लोक देवता गोगाजी को समर्पित डेरू नृत्य पर को भी दर्शकों ने बहुत सराहा। कार्यक्रम का संचालन मोहिता दीक्षित और यश दीक्षित ने किया।

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