मुरादाबाद, अक्टूबर 13 -- उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडल के शिक्षण संस्थानों में गैर शैक्षणिक गतिविधियों के बेजा इस्तेमाल पर शिक्षाविद और अभिभावक संघ चिंतित हैं।
मंडल में मुरादाबाद व अमरोहा जिले के शिक्षण संस्थानों में गैर-शैक्षणिक आयोजनों की बाढ़ आ गई है जिससे शैक्षणिक माहौल पर बुरा असर पड़ रहा है और छात्रों की पढ़ाई भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। इसको लेकर अभिभावक संघ और शिक्षाविदों ने चिंता जताई है।
अभिभावक संघ व प्रमुख सामाजिक संगठनों से जुड़े एडवोकेट मुजाहिद चौधरी का कहना है कि सांस्कृतिक उत्सवों, राजनीतिक सभाओं, सरकारी अभियानों और अन्य अतिरिक्त गतिविधियों के नाम पर निजी यूनीवर्सिटीज, इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेजों तथा सीबीएसई बोर्ड से संबद्धता प्राप्त पब्लिक स्कूल- कॉलेजों में जहां पहले वार्षिक आयोजन होते थे वहीं अब आयोजनों की मानों बाढ़ आ गई है। तमाम ऐसे कार्यक्रमों में बार बार शिरकत करने से छात्र छात्राओं में शिक्षा के प्रति अरुचि पैदा हो रही है वहीं क्लास से अनुपस्थित रहने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है जिसका सीधा असर शैक्षणिक माहौल पर पड़ रहा है।
शिक्षाविद विनोद रिछारिया ने चेतावनी दी है कि अनावश्यक आयोजनों पर यदि समय रहते रोक नहीं लगाई गई तो शैक्षणिक स्तर नीचे गिरता जाएगा। अमरोहा जिले में पिछले काफी समय से निजी यूनीवर्सिटी एवं सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध ट्वैल्थ स्टैंडर्ड कॉलेजों में सरकारी मिशन या अन्य अभियानों और उत्सवों का बोलबाला रहा है।
अभिभावक संघ से जुड़े अन्य सामाजिक मुद्दों पर मुखर होकर बोलने वाले एडवोकेट मुजाहिद चौधरी का कहना है कि हमारे बच्चे बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर परिणाम की उम्मीद लिए तैयारी में जुटे हुए हैं, लेकिन ऐसे अनावश्यक आयोजन उनके सिलेबस को पूरा करने का समय छीन लेते हैं। आयोजनों के दौरान एक सप्ताह में दो या तीन दिन तो ऐसे ही निकल जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह समस्या केवल अमरोहा- मुरादाबाद तक सीमित नहीं है। यह प्रदेश की समस्या है, देखा-देखी अन्य जिलों में भी यह प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है।
मुरादाबाद जिले में हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार, पिछले एक वर्ष में 40 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में गैर- शैक्षणिक कार्यक्रमों के कारण कम से कम 10-15 दिनों की पढ़ाई बाधित हुई। माध्यमिक शिक्षा से जुड़े वरिष्ठ प्रवक्ता विनोद रिछारिया के अनुसार हमें यह देखना होगा कि स्कूल कालेज, निजी विश्वविद्यालय परिसरों को इवेंट स्थल के रूप में तब्दील करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जानी चाहिए।हालांकि शिक्षा सुधारों को लेकर मंडल में शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर सर्कुलर जारी होते रहते हैं। गैर- शैक्षणिक गतिविधियों को न्यूनतम रखा जाए, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका पालन कम ही हो पा रहा है।
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