रायगढ़ , नवंबर 23 -- छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में स्थित ग्राम पंचायत शाहपुर की ग्रामसभा ने रविवार को एक ऐतिहासिक एवं सर्वसम्मत निर्णय लेते हुए एसईसीएल की प्रस्तावित ओपन कोल ब्लॉक परियोजना (1677.253 हेक्टेयर) को पूरी तरह से निरस्त कर दिया।
पांचवीं अनुसूची (1996) और छत्तीसगढ़ पेसा अधिनियम 2022 के तहत अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करते हुए ग्रामसभा ने स्पष्ट कहा,"जंगल, जल, जमीन पर अधिकार ग्रामसभा का है, बिना सहमति कोई भी खनन, भूमि अधिग्रहण या सर्वे अवैध माना जाएगा।"ग्रामसभा ने पेसा अधिनियम की धारा 4(क), 4(घ), 4(च) और 4(ज) का उल्लेख करते हुए कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों पर अंतिम निर्णय ग्रामसभा का होता है। ग्रामवासियों ने इस अधिकार का उपयोग करते हुए कोल ब्लॉक को स्थायी रूप से अस्वीकार कर दिया।
ग्रामसभा के अनुसार प्रस्तावित खनन क्षेत्र में 622.253 हेक्टेयर घना वन, छोटे-बड़े झाड़ एवं पारंपरिक हाथी गलियारा शामिल है। पास से बहने वाली मांड नदी इस पूरे वनक्षेत्र तथा वन्यजीवों का मुख्य जलस्रोत है। ग्रामीणों ने कहा कि खनन से मानव-हाथी संघर्ष बढ़ेगा, पर्यावरणीय क्षति तय है इसलिए परियोजना को मंजूरी नहीं दी जा सकती।
खनन क्षेत्र के पास स्थित प्राचीन मां अंबेटिकरा मंदिर पर प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं। ग्रामसभा ने बताया कि खनन का धूल-धुआं मंदिर के अस्तित्व को ही खतरे में डाल देगा।इसके अलावा कोल ब्लॉक के दायरे में आदिवासी समुदाय के कई पुरखा देवस्थल जैसे दुल्हा देव, बूढ़ी माता, डिही-डीहरिन, पाठ देवता, खंभेसरी, सारंगढ़ी आदि शामिल हैं। ग्रामवासियों ने स्पष्ट कहा,"हम अपनी सांस्कृतिक विरासत किसी भी कीमत पर नष्ट नहीं होने देंगे।"ग्राम पंचायत क्षेत्र के हजारों किसान तरबूज, मक्का और धान की खेती करते हैं, जिससे एक किसान सालाना लगभग 10 लाख रुपये तक की आय अर्जित करता है। ग्रामसभा ने कहा कि खनन से जलस्रोत दूषित होंगे, सिंचाई प्रभावित होगी और किसानों की आजीविका समाप्त हो जाएगी।
ग्रामसभा ने आरोप लगाया कि पटवारी द्वारा किसानों की जमीन पर बिना सहमति भू-अर्जन दर्ज किया गया है। ग्रामसभा ने एसडीएम को प्रस्ताव भेजकर तत्काल यह प्रविष्टि हटाने का निर्देश देने की मांग की, ताकि किसान शासकीय योजनाओं से वंचित न हों।
ग्रामसभा ने कहा कि कोल ब्लॉक के लिए किसी भी प्रकार की पर्यावरणीय जनसुनवाई आयोजित नहीं की जानी चाहिए। ग्रामसभा की असहमति के बावजूद जनसुनवाई कराने का कोई भी प्रयास अवैध माना जाएगा।
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