बड़वानी, सितंबर 27 -- मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के राजपुर क्षेत्र में आतंक का पर्याय बन चुकी मादा तेंदुआ को पकड़ लिए जाने के बाद अब उसके दोनों शावकों को पकड़ कर उसके पास लाने की कोशिश की जा रही है।

इसके तहत क्षेत्र में 75 से अधिक स्टाफ दिन रात वहीं फौजियों की तरह कैम्प कर उनकी खोज कर रहा है। यह भी पाया गया है कि मादा तेंदुआ के दो केनाइन दांत टूटे होने के चलते वह मानवों और जानवरों में विभेद ना करते हुए जो सामने मिल रहा था उसका शिकार कर ले रही थी। वन अधिकारियों का मानना है कि वह 'विलेन' नहीं, दरअसल मजबूर थी।

अधिकारियों ने बताया कि राजपुर अनुविभाग के लिम्बई क्षेत्र से 23 सितंबर की रात्रि 4 वर्षीय मादा तेंदुआ को गिरफ्त में लेकर वन विहार भोपाल भेजा गया है। उन्होंने बताया कि मादा तेंदुआ के जाने के बाद उनके करीब 5 महीने आयु के दोनों शावकों को भोजन की दिक्कत हो रही है । मादा तेंदुआ के उनके बगैर आक्रामक होने की आशंका के चलते शावकों को उससे मिलाने के लिए पकड़ने की युद्ध स्तर पर कोशिश हो रही है।

ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे बड़वानी डीएफओ आशीष बनसोड़ ने बताया कि इसके लिए पिंजरे, ट्रैप कैमरे ,सीसीटीवी कैमरे ,ड्रोन और थर्मल ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बिल्ली से थोड़े बड़े आकार के तेंदुए के शावक कई बार वन विभाग के अमले के पैरों के नीचे से निकल जाते हैं, तो कई बार घने खेतों में घूमते रहते हैं। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि वे दिनों दिन कमजोर होते जा रहे हैं। इसके अलावा छोटे होने के चलते उन पर दूसरे वन्य जीव भी हमला कर सकते हैं। कल रात भी चिन्हित हुए शावकों ने कम से कम 4 घंटे स्टाफ को छकाया। फ्लैश गन और टार्चों की बैटरी खत्म हो जाने के चलते ऑपरेशन को रोका गया है, जो आज फिर शुरू किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इस बीच वरिष्ठ पशु चिकित्सकों ने तेंदुए की जांच कर बताया है कि किसी वजह से उसके एक तरफ के केनाइंस पूर्व से टूटे हुए हैं। इसके चलते उसे पूर्ण क्षमता से शिकार करने में दिक्कत जा रही थी । इससे यह भी स्पष्ट हो रहा है कि उसने बच्चों पर क्यों हमला किया।

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