काराकस , अक्टूबर 13 -- वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना माचादो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार देने से नाराज सरकार ने नार्वे के दूतावास पर ताला लगा दिया है।

वेनेजुएला में नोबेल समिति के फैसले की ही कड़ी आलोचना का ज्वार थम नहीं रहा है। लोग मानते हैं कि वह देश में सत्ता पलटने के लिए विदेशी सैन्य हस्तक्षेप की मांग करती रही हैं और स्वयं भी तख्तापलट के प्रयासों में भागीदार रही हैं।

वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने सुश्री माचादो को धुर दक्षिणपंथी नेता बताते हुए कहा कि वह देश में बाहरी हस्तक्षेप की मांग करती रही हैं, जबकि लोग इसे अस्वीकार कर चुके हैं। हाल के जनमत सर्वेक्षणों से पता चला है कि 90 प्रतिशत से अधिक वेनेज़ुएलावासी देश के खिलाफ किसी भी बाहरी हस्तक्षेप का विरोध करते हैं।

उल्लखनीय है कि वेनेज़ुएला के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को "संसाधनों के रणनीतिक पुनर्वितरण" का हवाला देते हुए नॉर्वे और ऑस्ट्रेलिया में अपने दूतावासों को बंद करने की घोषणा की थी।

सामाजिक अधिकार के लिए काम करने वाले कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने सुश्री माचादो को पुरस्कार देने की घोषणा के बाद से ही इस फैसले की निंदा करते हुए विज्ञप्तियां जारी कीं और निराशा व्यक्त करते हुए कहा 'शांति के पुरस्कार को आधुनिक उपनिवेशवाद के साधन के रूप में बदल दिया गया है'।

डोमनिकन राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के एक गठबंधन ने संयुक्त रूप से इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा, "किसी ऐसे व्यक्ति को नोबेल शांति पुरस्कार देना जिसने खुले तौर पर अमेरिकी और इज़रायली सैन्य हस्तक्षेप का आह्वान किया है, उस शांतिवादी भावना का अपमान है जिसने अल्फ्रेड नोबेल को प्रेरित किया था।"अर्जेंटीना के संगठन मेसा इक्यूमेनिका ने नोबेल समिति के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि समिति ने पिछले पुरस्कार विजेताओं की "विरासत को कलंकित" किया है। संगठन ने कहा, "इस तरह के पुरस्कार से लोगों के बीच शांति, न्याय और एकता बनाने के लिए एक ठोस और दीर्घकालिक कार्य को मान्यता मिलनी चाहिए। जबकि, सुश्री माचादो का मार्ग इन सिद्धांतों से बहुत दूर प्रतीत होता है।"फासीवाद का विरोध करने वाली एंटी-फ़ासिस्ट इंटरनेशनल की कई शाखाओं ने भी इस पुरस्कार की निंदा करते हुए कि यह पुरस्कार 'अमेरिका के विदेश नीति का हथियार बन गया है'।

क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डियाज़-कैनेल ने कहा कि नोबेल समिति "राजनीतिकरण और पूर्वाग्रह के अकल्पनीय स्तर" पर पहुंच गई है। वहीं होंडुरस के पूर्व राष्ट्रपति मैनुअल ज़ेलया ने इस पुरस्कार को आधुनिक उपनिवेशवाद के साधन बताते हुए खारिज कर दिया।

उल्लेखनीय है कि सुश्री माचादो तख्तापलट की वकालत करती रही हैं। वह 2002 के तख्तापलट में भाग लेकर चर्चा में आई थीं। इस घटना में तत्कालीन राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज़ को कुछ समय के लिए सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। वह 2014 की "ला सालिडा" सड़क हिंसा भी शामिल रही थीं, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए थे।

सुश्री माचादो ने अमेरिका के वेनेजुएला पर आर्थिक प्रतिबंधों का न केवल समर्थन किया और बल्कि बढ़ावा भी देती रहीं। वेनेजुएला के शीर्ष अदालत ने 2024 में उन्हें किसी भी सार्वजनिक पद को धारण करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। सुश्री माचादो इजरायल की भी कट्टर समर्थक रही हैं और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से वेनेजुएला में सत्ता पलटने के लिए सैन्य सहयोग भी मांग चुकी हैं।

उल्लेखनीय है कि नोबेल पुरस्कार के लिए सुश्री माचादो की उम्मीदवारी का समर्थन अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने किया था, जो वेनेज़ुएला के प्रति वर्तमान अमेरिकी नीतियों के कट्टर समर्थक रहे हैं। सुश्री माचादो पुरस्कार मिलने के बाद कई प्रेस वार्ताओं में यह पुरस्कार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को समर्पित कर चुकी हैं।

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