नयी दिल्ली, सितम्बर 30 -- विजय कुमार मल्होत्रा को भारतीय तीरंदाजी को नई दिशा देने का श्रेय जाता है। कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ अनुभवी खेल प्रशासक मल्होत्रा का मंगलवार को 93 वर्ष की उम्र में बढती उम्र से जुड़ी बीमारियों के कारण निधन हो गया। भारतीय खेल जगत ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

मल्होत्रा को 2010 राष्ट्रमंडल खेल भ्रष्टाचार मामले में सुरेश कलमाड़ी के गिरफ्तार होने के बाद 26 अप्रैल 2011 से पांच दिसंबर 2012 तक भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया था। मल्होत्रा ने आईओए का उस कठिन समय में मार्गदर्शन किया जब देश की खेल छवि 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के घोटाले से प्रभावित हुई थी।

अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने आईओए प्रशासन को कुछ हद तक साफ-सुथरा किया। मिलनसार स्वभाव के मल्होत्रा के अंतरिम कार्यकाल के बाद चुनाव हुए लेकिन उसके बाद अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने आईओए को निलंबित कर दिया।

अभय सिंह चौटाला को अध्यक्ष और ललित भनोट को महासचिव बनाने के बाद आईओए पर चार दिसंबर 2012 को प्रतिबंध लगाया गया जो 11 फरवरी 2014 को ही हट सका। मल्होत्रा आईओए के आजीवन अध्यक्ष बने। वह 1974 तेहरान एशियाई खेलों में भी भारतीय दल के अभियान प्रमुख थे ।

वह 40 साल से अधिक समय (1973 से 2015) तक भारतीय तीरंदाजी महासंघ के अध्यक्ष रहे और तीरंदाजों की नई पौध तैयार की। आज भारतीय तीरंदाज विश्व स्तर पर अपनी जो छाप छोड़ रहे हैं उसका श्रेय मल्होत्रा के कुशल मार्गदर्शन को जाता है। दिल्ली के भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू उनके कार्यकाल में एएआई कार्यकारी समिति के सदस्य थे।

म्यूनिख ओलंपिक 1972 में तीरंदाजी को ओलंपिक खेल के रूप में चुने जाने के एक साल बाद 1973 में गठित भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) के तहत तीरंदाजी ने मल्होत्रा के अथक प्रयासों से भारत में जड़ें जमा लीं । मल्होत्रा 1972 म्यूनिख ओलंपिक में भारतीय दल के साथ गए थे और वहीं उन्हें यह विचार आया ।

म्यूनिख खेलों में भारतीय तीरंदाजी का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था और वहां से लौटकर उन्होंने भारतीय तीरंदाजी संघ का गठन किया। एएआई के संस्थापक अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने दिल्ली में 1973 में पहली सीनियर राष्ट्रीय तीरंदाजी चैम्पियनशिप कराई । इसमें 50 महिला और पुरूष तीरंदाजों ने भाग लिया और बांस के बने धनुष बाण से यह खेली गई ।

मल्होत्रा और तत्कालीन एएआई महासचिव गोपेश मेहरा ने एशिया में तीरंदाजी की शुरुआत की और एशियाई तीरंदाजी महासंघ (जिसे अब विश्व तीरंदाजी एशिया के रूप में जाना जाता है) का गठन 1978 में एशियाई खेलों के दौरान बैंकॉक में किया गया।

मल्होत्रा को उस संस्था का पहला अध्यक्ष और पीएन मुखर्जी को पहला महासचिव चुना गया। भारत ने 1980 में तत्कालीन कलकत्ता में पहली एशियाई प्रतियोगिता का आयोजन किया था। मल्होत्रा ने ही 1995 में नई दिल्ली में पहली राष्ट्रमंडल तीरंदाजी चैंपियनशिप आयोजित करने की पहल की थी।

राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप के दौरान राष्ट्रमंडल तीरंदाजी महासंघ का गठन किया गया और मल्होत्रा इसके अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में तीरंदाजी को शामिल कराने में अहम भूमिका निभाई।

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