नयी दिल्ली , अक्टूबर 03 -- आर्थिक विशेषज्ञ एवं पूर्व आईएएस एन.के. सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनने के लिए साल दर साल आठ प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि हासिल करनी होगी और पूंजीगत व्यय में और वृद्धि करनी होगी।

श्री सिंह यहां चौथे कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे जिसका उद्घाटन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में आर्थिक वृद्धि दर मजबूत नीतिगत आर्थिक सुधारों से सुधरी है। इसके साथ ही जनसंख्या वद्धि दर कम होने के मिले जुले लाभ से प्रतिव्यक्ति आय दो गुनी हो गयी है। श्री सिंह 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष थे।

उन्होंने विकसित भारत 2047 का लक्ष्य हासिल करने के लिए पूंजीगत व्यय का स्तर बढ़ाने, मौद्रिक और राजकोषीय नीति के बीच तालमेल बिठाये रखने, व्यापार को वृद्धि के इंजन के रूप में बनाए रखने के लिए प्रौद्योगिकी पर ध्यान देने, सुधारों को राज्यों के स्तर पर फैलाने तथा नयी उभरती वैश्विक परिस्थितियों में चुनौतियों तथा विडंबनाओं को अवसर बनाने पर ध्यान देने की सिफारिश की।

बाद में उन्होंने संवादाताओं से बातचीत करते हुए कहा, "भारत का विशाल घरेलू बाजार अभी अतृप्त है जहां प्रति व्यक्ति आय अब पांच से छह प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रही है। इससे निजी निवेश, सार्वजनिक-निजी भागीदारी, बाहर से निजी निवेश और आंतरिक संसाधन जुटाने के लिए अपार अवसर उभर रहे हैं।"उन्होंने कहा कि भारत इस समय ऐसे मोड़ पर है जहाँ कई सकारात्मक पहलू मौजूद हैं जो देश को अपने सामने आने वाली चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने में सक्षम बनाएंगे।

उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर की दर में कटौती से राजकोषीय पहल की गुंजाइश बढ़ी है, लोगों की क्रय शक्ति बढ़ी है, व्यापार में आसानी हुई है और हर आम आदमी को राहत मिली है।

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