नयी दिल्ली, सितम्बर 28 -- केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पिछड़ेपन के लिए वामपंथी उग्रवाद को सबसे बड़ा कारण बताते हुए कहा है कि जो लोग यह प्रचार कर रहे हैं कि वामपंथी उग्रवाद पिछड़ेपन के कारण फैला वे देश को गुमराह कर रहे हैं।
श्री शाह ने रविवार को यहां 'भारत मंथन-2025: नक्सल मुक्त भारत, पीएम मोदी के नेतृत्व में लाल आतंक का खात्मा' के समापन सत्र को संबोधित किया। उन्होंंने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास न पहुंचने का एकमात्र कारण वामपंथी विचारधारा है।
उन्होंने कहा कि जो लोग यह प्रचार कर रहे हैं कि वामपंथी उग्रवाद का मूल कारण विकास की कमी है वे देश को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा , " 60 करोड़ गरीबों के लिए प्रधानमंत्री मोदी अनेक योजनाएं लाए हैं, नक्सलवादी क्षेत्र में कौन इन योजनाओं को नहीं पहुंचने देता। सुकमा या बीजापुर में स्कूल नहीं पहुंचा तो उसका दोषी कौन है। वामपंथी क्षेत्र में सड़कें क्यों नहीं बन सकीं क्योंकि नक्सलियों ने कॉट्रैक्टर्स की हत्या कर दी।"नक्सलवाद की समस्या पर सरकार को उपदेश देने वाले बद्धिजीवियों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि इनकी संवेदना तटस्थ नहीं है। उन्होंने कहा ," बड़े-बड़े लेख लिखकर सरकार को उपदेश देने वाले बुद्धिजीवी विक्टिम ट्राइबल के लिए लेख क्यों नहीं लिखते? उनकी संवेदना सिलेक्टिव क्यों है? नक्सलियों के समर्थक न तो आदिवासियों का विकास चाहते और न ही उनके मन में उनकी चिंता है, बल्कि उन्हें दुनियाभर में रिजेक्ट होती अपनी विचारधारा को ज़िदा रखने की चिंता है।"केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नक्सलियों ने पहला निशाना संविधान और फिर न्यायिक व्यवस्था को बनाया। उन्होंने कहा, " नक्सलियों ने संवैधानिक वैक्यूम खड़ा किया और फिर स्टेट की कल्पना को निशाना बनाया और स्टेट का वैक्यूम खड़ा किया। जो भी उनके साथ नहीं जुड़े उन्हें स्टेट का इन्फॉर्मर बनाकर जनता की अदालत में फांसी की घोषणा कर दी। इन्होंने पैरेलल सरकार बनाई।"श्री शाह ने कहा कि देश के कल्याण के लिए अपनी विचारधारा से उपर उठने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि 'गवर्नेंस के वैक्यूम ' के कारण ही वहाँ विकास, साक्षरता, स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंच सकी हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन ब्लैक फारेस्ट के दौरान वामपंथी राजनीतिक दल अभियान को रुकवाने के लिए पत्र लिखकर गुहार लगाने लगे, जिससे उनका असली चेहरा सामने आ गया। उन्होंने कहा कि नक्सलियों के साथ कोई सीज़फायर नहीं होगा। अगर उन्हें सरेंडर करना है तो सीज़फायर करने की ज़ररूरत ही नहीं है, उन्हें हथियार डाल देने चाहिए। पुलिस एक भी गोली नहीं चलाएगी और उनका पुनर्वास करेगी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन ब्लैक फ़ॉरेस्ट होते ही नक्सलियों के समर्थकों की सारी छद्म सहानुभूति का पर्दाफाश हो गया।
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