लखनऊ , दिसंबर 22 -- समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ विधायक शिवपाल यादव ने बुधवार को विधानसभा में संबोधन के दौरान वंदे मातरम् को लेकर कहा कि वह उस पवित्र उद्घोष को नमन करते हैं, जो केवल एक गीत नहीं बल्कि स्वतंत्रता का जयघोष है।

शिवपाल यादव ने कहा कि वंदे मातरम् को बंकिमचंद्र ने अपने उपन्यास आनंद मठ में स्थान दिया था। उस दौर में जब बोलना भी विद्रोह माना जाता था, तब यह गीत आज़ादी का मशाल बनकर उभरा। उन्होंने कहा कि इस गीत में पूरे देश की आत्मा निहित है और इसे समग्र रूप से देखा जाना चाहिए।

वरिष्ठ विधायक ने कहा कि यदि वंदे मातरम् को किसी संप्रदाय विशेष के रूप में देखा जाएगा, तो यह उसकी महिमा का अपमान होगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यदि कोई सच में वंदे मातरम् को मानता है, तो उसे समाज में समान व्यवहार भी अपनाना चाहिए।

शिवपाल यादव ने सदन में विभाजनकारी बयानों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब तक विधानसभा में इस तरह की बातें होंगी, वह उनका विरोध करते रहेंगे। विधानसभा में वंदे मातरम् को लेकर जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया ने कहा कि वंदे मातरम् देश के लिए बलिदान देने वाले असंख्य वीरों का अंतिम उद्घोष रहा है। राजा भैया ने कहा कि खुदीराम बोस, राम प्रसाद बिस्मिल और ठाकुर रोशन सिंह जैसे महान क्रांतिकारियों के अंतिम शब्द वंदे मातरम् थे। यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि देशभक्ति और बलिदान का प्रतीक है। उन्होंने याद दिलाया कि संविधान सभा ने सर्वसम्मति से वंदे मातरम् को स्वीकार कर उसे मान्यता दी है।

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि फिर वंदे मातरम् पर आपत्ति किसे है और क्यों है। राजा भैया ने कहा कि जब चुनाव में जाएंगे, तो यह भी ध्यान रखा जाएगा कि किन लोगों के मुंह पर इस गीत के नाम पर ताला लग जाता है। उन्होंने कहा कि सदन के माध्यम से यह संदेश पूरे प्रदेश में जाना चाहिए कि वंदे मातरम् राष्ट्र की आत्मा से जुड़ा हुआ है और उस पर किसी भी तरह का संदेह या विरोध देश की भावना के खिलाफ है।

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