जयपुर , नवम्बर 26 -- राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि वन्दे मातरम् केवल गीत ही नहीं है, यह मातृभूमि के प्रति समर्पण, औपनिवेशिक दमन के विरुद्ध प्रतिरोध और स्वाधीनता की सामूहिक चेतना का प्रभावी प्रतीक है और समय के साथ यह गीत जन सभाओं और सांस्कृतिक आयोजनों में भारत के स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा शाक्ति बन गया है।
श्री देवनानी बुधवार को विधानसभा में संविधान दिवस पर आयोजित युवा संवाद समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। श्री देवनानी ने दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारम्भ किया और उन्होंने विधानसभा के डिजिटल म्यूजियम में उनकी पहल से निर्मित वंदे मातरम दीर्घा का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि देश का संविधान सुरक्षित है। इसे किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान भारत की आत्मा, भविष्य और वर्तमान है। दुनिया में भारत का संविधान ही ऐसा मजबूत संविधान है, जिसके माध्यम से सत्ता का हस्तान्तरण शांतिपूर्ण तरीके से होता है। भारतीय संविधान की यह सबसे बड़ी विशेषता है। देश की विधानसभाओं में राजस्थान विधानसभा कदाचित ऐसी विधान सभा बन गयी है, जहां वंदे मातरम् दीर्घा का निर्माण किया गया है। वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में श्री देवनानी की सोच एवं परिकल्पना के अनुरूप राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के ऐतिहासिक पहलुओं को चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष संविधान दिवस पर श्री देवनानी की पहल पर विधान सभा के राजनैतिक आख्यान संग्रहालय में संविधान दीर्घा का लोकार्पण किया गया। साथ ही विधानसभा परिसर में शौर्य वाटिका भी बनायी गयी है।
श्री देवनानी ने कहा कि संविधान दिवस राष्ट्रीय चेतना को आलौकित करने वाला ऐतिहासिक पर्व है। उन्होंने कहा कि यह दिवस केवल स्मृति दिवस नहीं है बल्कि जीवंत संकल्प, प्रतिज्ञा और प्रतिबद्धता का दिवस है। यह न्याय, स्वतन्त्रता, समानता और बन्धुत्व के मूल्यों को दृढ़ करने वाला दिवस है। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे संविधान के मूल्यों को आत्मसात करें। युवा पीढ़ी इसे जीवन शैली में अपनाकर ही संविधान निर्माताओं के प्रति सच्चा नमन कर सकते है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि है। राष्ट्र है तो हम है। देश के प्रति विश्वास और श्रद्धा रखे। देश के लिये जिये। अधिकारों को मांगे, लेकिन कर्तव्यों के निर्वहन के दायित्व से भी मुंह न मोड़े। पूरी क्षमता के साथ राष्ट्र हित का कार्य करें। भारत विश्व की महान शक्ति है। भारत विश्व गुरु है। यह सब भारतीय संविधान के कारण ही सम्भव है।
इस मौके पर संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि संविधान की मूल भावना में न्याय है। न्याय सभी को मिले। न्याय व्यवस्था में विश्वास करें। इसका स्वयं पालन करें और फिर दूसरों को कहे। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि संविधान की मजबूती बनाने की जिम्मेदारी प्रत्येक नागरिक की है। अतिरिक्त महाधिवक्ता जी एस गिल ने कहा कि संविधान राष्ट्र के लोगों की भावना है।
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