हैदराबाद , अक्टूबर 12 -- तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष एवं विधान पार्षद महेश कुमार गौड़ ने रविवार को कहा कि नागरिकों को सरकार के प्रति जवाबदेह बनाने का अधिकार देने वाली आरटीआई कानून लोकतंत्र के सबसे शक्तिशाली साधनों में से एक है जिसे डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने श्रीमती सोनिया गांधी के दूरदर्शी नेतृत्व में लागू किया था।
श्री गौड़ ने सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 12 अक्टूबर, 2005 को लागू किए गए आरटीआई अधिनियम ने नागरिकों को सरकारी जानकारी तक पहुँच का अधिकार प्रदान कर पारदर्शिता और जवाबदेह शासन लाने में क्रांति ला दी। उन्होंने कहा कि आरटीआई गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए जीवन रेखा बन गई है। इससे उन्हें वस्तुओं के वितरण, पेंशन, छात्रवृत्ति और अन्य कल्याणकारी लाभों जैसे अधिकारों तक पहुंच संभव हुई है।
उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार ने 2005 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा ), वन अधिकार अधिनियम (2006), शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009), भूमि अधिग्रहण और उचित मुआवजा अधिनियम (2013) और खाद्य सुरक्षा अधिनियम (2013) सहित कई अन्य प्रगतिशील कानून बनाए थे, जिन्होंने सामूहिक रूप से लोगों के अधिकारों को मजबूत किया तथा सामाजिक न्याय को बढ़ावा दिया।
श्री गौड़ ने आरोप लगाया कि 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद से आरटीआई अधिनियम को कमजोर करने के प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि 2019 के संशोधनों ने आयुक्तों के कार्यकाल और सेवा शर्तों पर केंद्र को नियंत्रण देकर सूचना आयोगों की स्वतंत्रता को कमजोर किया है। केन्द्रीय सूचना आयोग वर्तमान में स्वीकृत 11 आयुक्तों में से केवल दो आयुक्तों के साथ काम कर रहा है तथा मुख्य आयुक्त का पद सितम्बर 2025 तक रिक्त हो जाएगा।
श्री गौड़ ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 की भी आलोचना की और कहा कि यह व्यक्तिगत जानकारी की परिभाषा का विस्तार करके और जनहित में डेटा प्रकटीकरण से छूट देकर आरटीआई ढांचे को और कमजोर करता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के बदलाव मतदाता सूचियों, सार्वजनिक धन और सरकारी व्यय से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी छिपा सकते हैं। आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए, उन्होंने पर्यावरण कार्यकर्ता शेहला मसूद की हत्या का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार द्वारा पेश और संसद द्वारा पारित व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम 2014 से लागू नहीं किया गया है। वर्तमान शासन में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने वालों को धमकाया जा रहा है और उन पर हमले किए जा रहे हैं। आरटीआई ढांचे को मजबूत करने के लिए कांग्रेस पार्टी की प्रतिबद्धता दोहराते हुए उन्होंने 2019 के संशोधनों को निरस्त करने और सूचना आयोगों की स्वतंत्रता बहाल करने की मांग की। उन्होंने केन्द्रीय और राज्य आयोगों में रिक्तियों को तत्काल और पारदर्शी तरीके से भरने, उनके कामकाज पर अनिवार्य सार्वजनिक रिपोर्टिंग, आरटीआई उपयोगकर्ताओं और व्हिसलब्लोअर्स के लिए मजबूत सुरक्षा और पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और महिलाओं के लिए आयोगों में समावेशी प्रतिनिधित्व का भी आह्वान किया।
उन्होंने भाजपा सरकार पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसे प्रमुख कल्याणकारी कानूनों को लागू करने में विफल रहने और वन अधिकार अधिनियम को निरस्त करने की ओर बढ़ने का आरोप लगाया और कहा कि इससे लोगों के बुनियादी अधिकारों का हनन हो रहा है।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित