चंडीगढ़, सितंबर 26 -- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को कहा कि लोकतंत्र की असली शक्ति जनता के विश्वास में निहित होती है और यह विश्वास तभी मजबूत होता है जब विधानसभाएँ और संसद पारदर्शी, व्यवस्थित और उत्तरदायी ढंग से कार्य करें।
श्री बिरला ने आज चंडीगढ़ स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान (एमजीएसआईपीए) में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि कानून का मूल ड्राफ्ट बनाते समय कभी भी ग्रे एरिया नहीं छोड़ना चाहिए, यदि कानून की ड्राफ्टिंग में ग्रे एरिया होगा तो न्यायपालिका के हस्तक्षेप की गुंजाइश बढ़ जाएगी। जब लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग स्पष्ट और सरल हो, तथा उसमें कोई ग्रे एरिया नहीं होगा तो न्यायिक समीक्षा करते समय अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं होगा । उन्होंने कहा "हमारे संविधान के तहत विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन किया गया है।"उन्होंने कहा कि विधायी प्रारूपण केवल तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र की आत्मा है। जब विधेयक और कानून संविधानिक मूल्यों तथा जनता की आकांक्षाओं का स्पष्ट और सटीक रूप से प्रतिबिंबन करते हैं, तभी लोकतांत्रिक व्यवस्था अपने उद्देश्य की पूर्ति कर पाती है।
श्री बिरला ने कहा कि स्पष्ट और सरल विधायी भाषा प्रभावी कानूनों की आधारशिला है। इस दृष्टि से इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम अत्यंत उपयोगी हैं क्योंकि ये अधिकारियों और कर्मचारियों को न केवल विधायी प्रक्रियाओं की जटिलताओं से परिचित कराते हैं, बल्कि उन्हें ऐसी विधायी भाषा और प्रारूप विकसित करने में सक्षम बनाते हैं, जो न्यायपूर्ण हो, पारदर्शी हो और समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए सुलभ हो। उन्होंने जोर दिया कि कानून का प्रारूप जब सदन में आए तो उस पर जितनी विस्तृत चर्चा होगी, उतना वह कानून जनानुकूल बन सकेगा।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित