देहरादून , नवम्बर 25 -- लम्बे समय से समान कार्य के लिए समान वेतन और नियमितीकरण को आंदोलन कर रहे उत्तराखण्ड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड (उपनल) कार्मिकों के प्रति मंगलवार रात राज्य सरकार ने थोड़ा नरम रुख अपनाया, जबकि उच्च और उच्चतम दोनों न्यायलय सरकार को इस सन्दर्भ में पहले ही चेतावनी सरीखे आदेश दे चुके हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राज्य सरकार ने उपनल के माध्यम से विभिन्न विभागों में कार्यरत कार्मिकों के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यह निर्णय उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल में योजित रिट याचिका संख्या 116/2018 (पीआईएल) में पारित आदेश दिनांक 12.11.2018 के अनुपालन में, उपनल प्रतिनिधियों की मुख्यमंत्री से हुई बैठक के बाद शासन स्तर पर सम्यक विचार-विमर्श के उपरांत लिया गया है।
इस संबंध में सचिव सैनिक कल्याण दीपेन्द्र चौधरी द्वारा प्रबंध निदेशक, उपनल को एक परिपत्र में भेजा गया है। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि राज्य सरकार के अधीन विभागों/संस्थानों में उपनल के माध्यम से तैनात ऐसे कार्मिक, जिन्होंने 12 वर्ष या उससे अधिक की निरंतर सेवा पूर्ण कर ली है, उन्हें समान कार्य-समान वेतन के सिद्धांत पर वेतनमान का न्यूनतम वेतन एवं महंगाई भत्ता प्रदान किया जाएगा।
इसके अलावा, श्री चौधरी ने परिपत्र में लिखा है कि अन्य उपनल कार्मिक, जिन्होंने चरणबद्ध रूप से निरंतर सेवाएं पूर्ण की हैं, उन्हें भी यथाशीघ्र समान कार्य-समान वेतन के सिद्धांत के अनुरूप वेतनमान का न्यूनतम वेतन एवं महंगाई भत्ता प्रदान किया जाएगा। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि उपरोक्त निर्णयों के क्रम में औपचारिक आदेश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे, ताकि कार्मिकों को समयबद्ध रूप से लाभ मिल सके।
मुख्यमंत्री ने इस संदर्भ में कहा है कि राज्य सरकार उपनल कार्मिकों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध है तथा उनके दीर्घकालिक हितों की रक्षा के लिए आवश्यक निर्णय लगातार लिए जा रहे हैं।
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