बक्सर , दिसंबर 26 -- बिहार राज्य सिविल कोर्ट कर्मचारी संघ ने अपनी लंबे समय से लंबित मांगों के समाधान को लेकर आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया है।

संघ ने 16 और 17 जनवरी 2026 को न्यायिक कार्य करते हुए राज्यव्यापी मौन व्रत कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की है। यह कार्यक्रम पिछले वर्ष 16 जनवरी को अधीनस्थ न्यायालय कर्मचारियों की तरफ से की गई राज्यव्यापी हड़ताल की पहली बरसी के अवसर पर किया जाएगा।

यह निर्णय गुरुवार को पटना में आयोजित संघ की बैठक में लिया गया। बैठक में न्यायालय कर्मचारियों से जुड़े विभिन्न सेवा संबंधी मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया, जिसमें मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का गठन, वेतनमान में संशोधन तथा पदोन्नति जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल रहे।

संघ ने यह भी निर्णय लिया कि इन मांगों को लेकर पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को शीघ्र कार्रवाई के लिए ज्ञापन सौंपा जाएगा। संघ के अनुसार, वेतन पुनरीक्षण और पदोन्नति से जुड़ी मांगें लगभग एक दशक से लंबित हैं, जिससे राज्यभर के सिविल कोर्ट कर्मचारियों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।

संघ के अध्यक्ष राजेश्वर तिवारी ने बताया कि प्रमुख मांगों में संशोधित वेतनमान, समयबद्ध पदोन्नति, अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति तथा चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की पदोन्नति शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 16 जनवरी 2025 को अधीनस्थ न्यायालय कर्मचारियों की राज्यव्यापी हड़ताल के बावजूद अब तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है, जबकि उस समय पटना उच्च न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने एक माह के भीतर समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया था।

संघ अध्यक्ष ने कहा कि यदि शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो कर्मचारी आगे के आंदोलनात्मक कदम उठाने पर भी विचार कर सकते हैं।

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