नयी दिल्ली , अक्टूबर 02 -- आयुष मंत्रालय ने गुरुवार को प्रो. बनवारी लाल गौर, वैद्य नीलकंधन मूस ई.टी. और वैद्य भावना प्रशर को राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया। आयुष मंत्रालय यह पुरस्कार शैक्षणिक, पारंपरिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में आयुर्वेद के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान करता है। यह पुरस्कार आयुर्वेद का प्रचार, संरक्षण और उन्नति में प्रभावशाली योगदान करने वाले व्यक्ति को दिया जाता है।
इस वर्ष के पुरस्कार विजेता प्रो. बनवारी लाल गौर आयुर्वेदिक साहित्य और शिक्षा में योगदान के लिए राष्ट्रपति सम्मान सहित कई राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित हुए हैं। श्री गौर, प्रख्यात विद्वान और शिक्षाविद, आयुर्वेदिक शिक्षा और संस्कृत विद्वत्ता में छह दशकों से योगदान कर रहे हैं। उन्होंने 31 पुस्तकें और 300 से अधिक अकादमिक कृतियाँ लिखी हैं, जिनमें संस्कृत में 319 प्रकाशन शामिल हैं। 24 पीएचडी विद्वानों और 48 स्नातकोत्तरों का उनका मार्गदर्शन आयुर्वेद के शैक्षणिक भविष्य को आकार देने में उनकी भूमिका को उजागर करता है।
केरल की चिकित्सा विरासत के संरक्षक श्री मूस ईटी वैद्यरत्नम समूह के प्रमुख भी हैं, वह 200 साल पुरानी आयुर्वेदिक विरासत वाले परिवार की आठवीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह 100 से अधिक चिकित्सकों की एक टीम का नेतृत्व करते हैं और उन्होंने केरल की शास्त्रीय आयुर्वेदिक पद्धतियों को राष्ट्रीय और वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाने में योगदान दिया है। उनके कार्यों में मर्मयानम और वज्र जैसे सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और पंचकर्म पर एक व्यावहारिक पुस्तिका की रचना शामिल हैं। श्री मूस का कार्य आयुर्वेद की निरंतरता को एक जीवंत परंपरा के रूप में दर्शाता है जो अपनी शास्त्रीय जड़ों को संरक्षित करते हुए अनुकूलन करती है।
सीएसआईआर-आईजीआईबी की वैज्ञानिक वैद्य भावना प्रशर को आयुर्जेनोमिक्स यानि आयुर्वेद और जीनोमिक्स के एकीकरण के कार्य के लिए सम्मानित किया गया है। उनका शोध प्रकृति और त्रिदोष जैसी पारंपरिक आयुर्वेदिक अवधारणाओं को आधुनिक जीनोमिक विज्ञान के साथ जोड़ता है, जिससे पूर्वानुमानित और व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवा में प्रगति संभव हो रही है।उनके कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग-आधारित प्रकृति विश्लेषण प्रोटोकॉल को राष्ट्रीय प्रकृति परीक्षण कार्यक्रम जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में एकीकृत किया गया है, जिससे जन स्वास्थ्य में आयुर्वेद के दायरे का विस्तार करने में मदद मिली है।
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