पुणे , दिसंबर 01 -- महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय चिन्मय गीता चैंटिंग प्रतियोगिता के फाइनल में 16 राज्यों से आए 178 राज्य-स्तरीय फाइनलिस्ट्स ने शिरकत की।

यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक चिन्मय मिशन के वैश्विक प्रमुख स्वामी स्वरूपानंद की उपस्थिति में यह आयोजन अगले वर्ष होने वाले चिन्मय अमृत महोत्सव की वर्षभर चलने वाली उत्सव शृंखला का भी हिस्सा था, जो चिन्मय मिशन की विश्वभर में समाज सेवा के 75 वर्ष पूरे होने का प्रतीक होगा। इस दौरान कैंपस भगवद् गीता के श्लोकों की बच्चों की सामूहिक चैंटिंग से गुंजायमान रहा।

प्रतियोगिता बच्चों की आयु और निर्धारित श्लोकों की संख्या के आधार पर छह वर्गों में निर्धारित की गयी थी और यह पूर्णतया समावेशी रही। इस वर्ष राज्य स्तर पर क्वालीफाई करने वाले दिव्यांग बच्चे भी फाइनल में शामिल हुए। निर्णायक मंडल में चिन्मय मिशन के वेदांत में प्रशिक्षित स्वामी एवं ब्रह्मचारीगण थे।

इससे पहले फाइनल तक का सफर कई महीने पहले देश के अनेक शहरों से शुरू हुआ था। इस वर्ष 16 राज्यों के 2500 स्कूलों के लगभग 3,००,००० छात्र-छात्राओं तक प्रतियोगिता पहुंची। स्थानीय एवं राज्य-स्तरीय चरणों के बाद फाइनलिस्ट चिन्मय मिशन के विजन सेंटर चिन्मय विभूति पहुंचे।

विज्ञप्ति में कहा गया कि यह परंपरा स्वामी चिन्मयनंद जी ने 1980 के शुरुआती दशक में शुरू की थी। स्वामी चिन्मयनंद ने गीता के संदेश को घर-घर पहुंचाया और "चैंट करें -अध्ययन करें-जानें -जीवन में उतारें"के विजन के साथ गीता चैंटिंग प्रतियोगिता शुरू की। बच्चे जब पहले चैंटिंग से शुरू करते हैं और भाषा-लय से परिचित होते हैं, तो स्वाभाविक रूप से अर्थ जानने की जिज्ञासा जागती है। समय के साथ वह जिज्ञासा गीता के शिक्षाओं को जीवन में जीने की समझ में बदल जाती है। यह विजन चार दशकों से अधिक समय से जारी है और हर साल विश्वभर में लाखों बच्चों तक पहुच रहा है।

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