जयपुर , दिसम्बर 01 -- राजस्थान सरकार अपनी नीतियों के केंद्र में रखकर प्रदेश के किसानों और पशुपालकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य कर रही है और इससे राज्य में दुग्ध उत्पादन तथा कैटल फीड से संबंधित गतिविधियों का वार्षिक टर्नओवर आठ हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 10 हजार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष पहुंच गया है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इनके वार्षिक लाभ में लगभग 44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है वहीं पूर्व में प्रदेश की 15 मिल्क यूनिट्स हानि की श्रेणी में संचालित हो रही थी लेकिन आज सभी 24 मिल्क यूनिट्स लाभ की स्थिति में हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में डेयरी और पशुपालन क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हो रही है। प्रदेश में कार्यशील दुग्ध संघों की वित्तीय स्थिति में व्यापक सुधार होने के साथ ही दुग्ध प्रसंस्करण की क्षमता का निरंतर विकास और विस्तार हो रहा है। वहीं, सहकारिता तंत्र के सुदृढ़ीकरण से ग्रामीणों के आर्थिक और सामाजिक जीवन में बड़ा सकारात्मक बदलाव आ रहा है, जो विकसित राजस्थान-2047 के पथ का महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगा।
प्रदेश में दुग्ध प्रसंस्करण की आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में 48 लाख लीटर प्रतिदिन की प्रसंस्करण क्षमता को बढ़ाकर 54 लाख लीटर प्रतिदिन किया गया है। आगामी दो वर्षों में इस क्षमता को 70 लाख लीटर प्रतिदिन तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के क्रम में आरसीडीएफ (राजस्थान कॉपरेटिव डेयरी फेडरेशन) द्वारा लगभग एक हजार करोड़ रुपये का इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड गठित कर कोटा, भरतपुर, अलवर, उदयपुर तथा जोधपुर स्थित दुग्ध संयंत्रों के उन्नयन का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।
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