पणजी , नवंबर 28 -- बॉलीवुड के जानेमाने फिल्मकार रमेश सिप्पी ने 56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (इफ्फी) में अपनी ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले के 50 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया।
रमेश सिप्पी निर्देशित ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले 15 अगस्त को रिलीज हुयी थी। फिल्म शोले को प्रदर्शित हुये 50 साल हो गये हैं। रमेश सिप्पी ने 56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह के दौरान "शोले के 50 वर्ष : शोले आज भी क्यों गुंजायमान है?" शीर्षक वाले 'संवाद' सत्र में दर्शकों को फिल्म के इतिहास की एक दिलचस्प यात्रा कराई।इस सत्र की मेजबानी उनकी पत्नी और अभिनेत्री-निर्माता किरण सिप्पी ने की।
रमेश सिप्पी ने कहा, "अब आप फ़िल्म वैसी ही देखेंगे जैसी वह बनी थी"। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने फिल्म शोले के लिए एक बिल्कुल नया विज़ुअल पैलेट खोजा। ऐसे समय में जब हिंदी सिनेमा की ज़्यादातर डकैत ड्रामा फिल्में राजस्थान और चंबल घाटी में शूट होती थीं, रमेश सिप्पी ने मैसूरु और बेंगलुरु के पास के ऊबड़-खाबड़ इलाकों को देखा और खोजा। पथरीले बैकग्राउंड ने शोले को एक ऐसा खास लुक दिया जो भारतीय सिनेमा में पहले कभी नहीं देखा गया था।
रमेश सिप्पी ने शोले में अमजद खान के यादगार किरदार गब्बर सिंह के बारे में बताया कि असल में इस किरदार का निभाने की जिम्मेदारी वह डैनी डेन्जोंगपा को देना चाहते थे लेकिन विदेश में शूटिंग कमिटमेंट्स के कारण वह उपलब्ध नहीं थे। पटकथा लेखक सलीम-जावेद की सिफारिश के बाद अमजद खान ने अपने थिएटर कौशल से उन्हें प्रभावित किया, और बाकी सब सिनेमाई इतिहास बन गया।इस तरह हिन्दी सिनेमा को अब तक के सबसे बेहतरीन विलेन में से एक मिला।
रमेश सिप्पी फिल्म शोले के उन बड़े अभिनेताओं को याद करके भावुक हो गए जो अब हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने संजीव कुमार, अमजद खान और धर्मेन्द्र को दिल से श्रद्धांजलि दी, जिनका हाल ही में निधन हो गया।रमेश सिप्पी ने स्वर्गीय धर्मेन्द्र के समर्पण को याद किया, जब घुड़सवारी का एक एक्शन सीन चल रहा था, जिसमें काठी फिसल गई और धर्मेन्द्र गिर गए।
रमेश सिप्पी ने कहा, "एक पल के लिए मेरा दिल थम गया, लेकिन धरम जी जी बस खड़े हुए, खुद को साफ किया, और फिर से जाने के लिए तैयार थे। वह हमेशा खुद को आगे बढ़ाना चाहते थे और नई चीजें आज़माना चाहते थे।" उन्होंने कहा कि शोले ज़बरदस्त टीमवर्क का नतीजा थी। फ़िल्म में जो कई पहली चीज़ें थीं, उनमें से यह जानना चाहिए कि यह पहली भारतीय फ़िल्म थी जिसमें ब्रिटेन से एक प्रोफ़ेशनल फ़ाइट-सीक्वेंस टीम आई थी।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित