विशाखापत्तनम , अक्टूबर 07 -- आंध्र प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सत्य कुमार यादव ने मंगलवार को कहा कि रक्त की कमी को तर्कसंगत उपयोग को अपनाकर दूर किया जा सकता है।

श्री यादव ने आज यहां 'रक्त के तर्कसंगत उपयोग' पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि 140 करोड़ से अधिक की आबादी वाले भारत में रक्त की आवश्यकता को पूरा करना आसान नहीं है और ऐसी परिस्थितियों में, "तर्कसंगत उपयोग" को जीवन का एक तरीका बनाना चाहिए, जिससे रक्त की आपूर्ति की कमी को दूर किया जा सके।

उन्होंने कहा कि भारत में वार्षिक रक्त की आवश्यकता लगभग 1.5 करोड़ यूनिट होने का अनुमान है, लेकिन रिपोर्टों से पता चलता है कि देश भर में 10 से 40 लाख यूनिट की कमी है। उन्होंने कहा , " विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार जनसंख्या के कम से कम एक प्रतिशत लोगों का रक्तदाता होना आवश्यक है। आंध्र प्रदेश को 5.3 लाख यूनिट रक्त की आवश्यकता है और पिछले वित्तीय वर्ष में हम सात लाख से अधिक यूनिट रक्त एकत्र करने में सफल रहे।"मंत्री ने सुझाव दिया कि लाल रक्त कोशिकाओं, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा जैसे घटकों को अलग करके और केवल आवश्यकतानुसार उनका उपयोग करके परिणामों को बेहतर बनाया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि हमारा लक्ष्य दुर्घटनाओं, शल्यचिकित्साओं और चिकित्सीय आवश्यकताओं के मामलों में ज़रूरतमंद सभी लोगों को समय पर रक्त और रक्त उत्पाद उपलब्ध कराना और उनका प्रभावी ढंग से उपयोग करना है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की रिपोर्टों के अनुसार, देश भर में सुरक्षित एवं समय पर रक्त आपूर्ति प्रदान करने में अभी भी चुनौतियाँ हैं और रक्तदाताओं की जागरूकता, भंडारण, वितरण तथा तर्कसंगत उपयोग के माध्यम से व्यापक रक्त प्रबंधन प्राप्त किया जा सकता है।"उन्होंने बताया कि राज्य में 394 रक्त भंडारण केंद्र हैं और ई-ब्लड बैंक तथा अन्य आधुनिक तंत्रों के माध्यम से कुशल उपयोग बढ़ रहा है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि स्वैच्छिक रक्तदाताओं की संख्या बढ़ रही है, ब्लड बैंकों का बुनियादी ढाँचा बढ़ रहा है और डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम पारदर्शिता ला रहे हैं।

राष्ट्रीय कार्यशाला में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की महानिदेशक डॉ. सुनीता शर्मा, उप महानिदेशक डॉ. मेघा प्रवीण खोबरागड़े, एनबीटीसी के निदेशक डॉ. कृष्ण कुमार, आंध्र प्रदेश राज्य रक्त आधान परियोजना के निदेशक डॉ. के. नीलकांत रेड्डी और संयुक्त निदेशक डॉ. बी. प्रसन्ना ने रक्त और रक्त उत्पादों के कुशल उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया।

इस अवसर पर अतिथियों द्वारा राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद (एनबीटीसी) के त्रैमासिक न्यूज़लेटर का विमोचन किया गया। कार्यशाला में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. मधुर गुप्ता, आर. गणपति राव, डॉ. शांता सिंह, विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चिकित्सा अधिकारी, अन्य अधिकारी और चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल हुए।

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