वाशिंगटन , दिसंबर 24 -- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ग्रीनलैंड को अमेरिकी क्षेत्र में समाहित करने की महत्वाकांक्षा को यूरोपीय नेताओं ने खारिज करते हुए ग्रीनलैंड और डेनमार्क के साथ एकजुटता प्रदर्शित की है।
श्री ट्रंप ने 'राष्ट्रीय सुरक्षा' का हवाला देते हुए ग्रीनलैंड को अमेरिकी क्षेत्र में शामिल करने की अपनी महत्वाकांक्षा को फिर से दोहराया है। उन्होंने लगभग एक साल पहले इसी तरह की घोषणा की थी।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने लुइसियाना के गवर्नर जेफ लैंड्री को ग्रीनलैंड के लिए नया अमेरिकी 'विशेष दूत' नियुक्त किया है, जिसका घोषित उद्देश्य 'ग्रीनलैंड को संयुक्त राज्य अमेरिका में एकीकृत करना' है। राष्ट्रपति ने दोहराया कि अमेरिका को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इस क्षेत्र की आवश्यकता है।
श्री ट्रंप ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा, " अमेरिका को खनिजों या तेल के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ग्रीनलैंड की आवश्यकता है। और यदि आप ग्रीनलैंड को देखें, तो वहां हर जगह रूसी और चीनी जहाज हैं। इसलिए हमें सुरक्षा के लिए इसकी आवश्यकता है।"अमेरिकी राष्ट्रपति ने डेनमार्क को उस क्षेत्र की उपेक्षा करने के लिए निंदा भी की, "उन्होंने कोई पैसा खर्च नहीं किया है, उनके पास कोई सैन्य सुरक्षा नहीं है।"श्री ट्रंप की टिप्पणियों को यूरोपीय संघ के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों ने गंभीरता से लिया है और अमेरिका की विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित की है। गौरतलब है कि ग्रीनलैंड डेनमार्क का स्वायत्त क्षेत्र है।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और उनके यूरोप एवं विदेश मामलों के मंत्री जीन-नोएल बैरोट दोनों ने इस घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए डेनमार्क के क्षेत्र की अखंडता के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की।
श्री मैक्रों ने कहा, "ग्रीनलैंड अपने लोगों का है। डेनमार्क इसके संरक्षक के रूप में खड़ा है। मैं अन्य यूरोपीय लोगों के साथ इनके साथ खड़ा हूँ। "यूरोपीय आयोग की उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने जोर देकर कहा कि 'क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता अंतरराष्ट्रीय कानून के मौलिक सिद्धांत हैं'।
स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने एक्स पर लिखा, "संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान यूरोपीय संघ और दुनिया के सभी देशों के लिए अहम है। आर्कटिक में सुरक्षा एक प्राथमिकता है जिसमें हम सहयोगियों और भागीदारों के साथ काम करना चाहते हैं।"अमेरिका और डेनमार्क नाटो का हिस्सा हैं, जिसे अपने किसी एक सदस्य के खिलाफ आक्रामकता की स्थिति में आपसी रक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उस सिद्धांत का कभी भी गठबंधन के सदस्यों के बीच संघर्ष के स्थिति में परीक्षण नहीं हुआ है। ऐसे में यह घटनाक्रम नाटो के लिए एक परीक्षा की घड़ी बनकर आया है।
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