लखनऊ , नवम्बर 27 -- उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग ने गुरुवार को योजना भवन में 'विकसित उत्तर प्रदेश @ 2047' पर्यटन कार्यशाला का आयोजन किया।
एक दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य वर्ष 2047 तक उत्तर प्रदेश को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने के लिए एक सशक्त, संतुलित और नवाचारी रोडमैप तैयार करना रहा। इस मंच पर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों, नीति-विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और उद्योग जगत के अनुभवी प्रतिनिधियों की सहभागिता ने एक समग्र दृष्टि विकसित की, जो पर्यटन के दीर्घकालिक, सतत और समावेशी 'टूरिज्म विजन डॉक्यूमेंट 2047' को आकार देने में मदद करेगा।
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार अवनीश अवस्थी, प्रमुख सचिव पर्यटन अमृत अभिजात तथा पर्यटन महानिदेशक राजेश कुमार ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार साझा किए। इनके नेतृत्व में विभागीय प्राथमिकताओं, नीतिगत सुधारों और निवेश संभावनाओं आदि पर विस्तार से चर्चा हुई। योजना विभाग, आयुष विभाग, संस्कृति विभाग और राज्य परिवर्तन आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कार्यशाला का हिस्सा बनकर विभिन्न विभागों के बीच समन्वय विकसित करने पर बल दिया। अद्यतन सत्र में नीति आयोग के प्रतिनिधि तथा राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञों ने भी अपने विचार रखे।
श्री अवस्थी ने अपने विशेष संबोधन में कहा, कि 'पर्यटन सदैव और सर्वदा रहने वाला क्षेत्र है। उत्तर प्रदेश घरेलू पर्यटन में पहले पायदान पर है, जबकि विदेशी पर्यटन में चौथे पायदान पर है। मौजूदा वर्ष 2025 में जबकि अभी एक महीना शेष है, पर्यटकों का आगमन नए रिकॉर्ड की ओर बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, बीते सात वर्षों के दौरान 2019 का कुंभ और 2025 का महाकुंभ हमारी पर्यटन प्रगति को दर्शाता है। अयोध्या, काशी की तरह ही मथुरा में भी आधारभूत संरचना के विकास पर जोर दिया।मुख्यमंत्री के सलाहकार ने वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी में पर्यटन की भूमिका को अहम बताया। साथ ही, सफाई पर विशेष ध्यान देते हुए इस क्षेत्र में कुशल और प्रशिक्षित युवा पीढ़ी को लाने को प्राथमिकता सूची में रखने को कहा है। उन्होंने पर्यटन में कॉरपोरेट की भूमिका, हाइवे और एक्सप्रेस-वे के किनारे वे-साइड एमिनिटीज के विकास और सस्टेनेबल टूरिज्म जैसे प्रमुख बिंदुओं पर भविष्य के लिए सुझाव दिए।
प्रमुख सचिव पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य अमृत अभिजात ने 'विकसित उत्तर प्रदेश @ 2047' पर एक एक प्रस्तुतीकरण के माध्यम से पर्यटन और उससे जुड़ी सूक्ष्म जानकारी कार्यशाला में उपस्थित गणमान्य लोगों को दी। उन्होंने कहा कि बीते आठ वर्षों में राज्य सरकार द्वारा हवाई, रेल, सड़क सहित अन्य कनेक्टिविटी विकसित किए जाने से प्रदेश में पर्यटन में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली। बेहतर प्रशासन और अपराधमुक्त माहौल ने भी आगंतुकों को आने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा कि यूपी में म्यूजियम की वृहद् श्रृंखला है। मुख्यमंत्री के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट शौर्य संग्रहालय का काम भी तेजी से चल रहा है। उन्होंने पर्यटन में सोशल मीडिया, डिजिटल माध्यम, संस्कृति आधारित पर्यटन, स्किल डेवलपमेंट, स्मार्ट टूरिज्म और टूरिस्ट सेफ्टी पर अपने विचार प्रस्तुत किए। महाकुंभ-2025 के दौरान महज 45 दिनों में 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आगमन को बड़ी उपलब्धि बताया।
अमृत अभिजात ने आगे कहा, 'लखनऊ को 'यूनेस्को की क्रिएटिव सिटी ऑफ़ गैस्ट्रोनॉमी' के रूप में मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान सिर्फ़ एक सम्मान नहीं, यह हमारी सांस्कृतिक विरासत, नवाचार और पाक-कला की बेमिसाल समृद्धि का वैश्विक उत्सव है। यह क्रम आगे भी जारी रहेगा।
महानिदेशक पर्यटन राजेश कुमार ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि 'उत्तर प्रदेश पर्यटन विकास के अपने सबसे सशक्त दौर में प्रवेश कर रहा है। एक्सप्रेस-वे, नए एयरपोर्ट, वंदे भारत कॉरिडोर और दीपोत्सव, देव दीपावली व महाकुंभ जैसे वैश्विक आयोजनों ने राज्य के पर्यटन तंत्र को नई गति दी है। उन्होंने कहा कि सामुदायिक आधारित पर्यटन, तराई क्षेत्र में ईको-टूरिज्म और नए सर्किटों का विस्तार भविष्य में स्थायी व समावेशी विकास की नींव बनेगा। उन्होंने कहा, पर्यटन विभाग बेड एंड ब्रेकफास्ट एवं होम स्टे पॉलिसी के माध्यम से स्थानीय निवासियों के लिए आय और रोजगार के नए अवसर पैदा कर रही है।'कार्यक्रम में विशेष सम्बोधन में मनोज कुमार सिंह, मुख्य कार्यकारी अधिकारी (स्टेट ट्रांसफॉर्मेशन कमीशन, उ0प्र0) ने विकसित उत्तर प्रदेश @ 2047 पर्यटन कार्यशाला में अपने संबोधन में भविष्य को लेकर कई अहम सुझाव दिए। उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग को वर्तमान समय में इनबाउंड टूरिज्म पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। केरल की तर्ज पर प्रदेश में वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। आयुष, योग और पंचकर्म आधारित पर्यटन पर विशेष फोकस हो, तो परिणाम बेहतर आएंगे। सिंह ने राज्य के पर्यटन स्थलों के आसपास सफाई की समुचित व्यवस्था को सर्वोपरि बताया।
यूपीएसटीडीसी के प्रबंध निदेशक आशीष कुमार ने बताया कि यूपीएसटीडीसी टूर पैकेजों को लंबी अवधि के प्रवास, सांस्कृतिक गतिविधियों और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर उपयोग के अनुरूप पुन: डिज़ाइन कर रहा है। ईको-टूरिज्म निदेशक पुष्प कुमार के0 ने वेटलैंड पुनर्स्थापना, वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर को मजबूत करने और प्रकृति आधारित पर्यटन मॉडल पर राज्य की प्राथमिकताओं को साझा किया। उन्होंने दुधवा, पीलीभीत और कतर्नियाघाट को मॉडल साइटों के रूप में प्रस्तुत किया।
कार्यशाला दो सत्र में आयोजित हुआ। पहला सत्र, विरासत आधारित डेस्टिनेशन डेवलपमेंट, संभावित यूनेस्को पहल, आध्यात्मिक पर्यटन, संरक्षण एवं कौशल विकास पर केंद्रित रहा, जबकि दूसरे पैनल में ईको-टूरिज्म, सतत पर्यटन, विरासत पुनर्स्थापन, एडवेंचर स्पोर्ट्स, ग्रामीण पर्यटन और डिजिटल प्लेटफॉर्म के विशेषज्ञों ने भविष्य की प्राथमिकताओं और क्षमता निर्माण आवश्यकता पर चर्चा की।
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