नयी दिल्ली/लखनऊ , अक्टूबर 14 -- उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में सहायता देने और राज्य की सांख्यिकीय प्रणाली को सुदृढ़ बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के बीच एक उच्च स्तरीय बैठक हुई।

इस बैठक में एनएससी के अध्यक्ष प्रो. राजीव लक्ष्मण करंदीकर, आयोग के सदस्य प्रो. ए गणेश कुमार , असित कुमार साधु और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के सचिव और एनएससी के सदस्य सचिव डॉ. सौरभ गर्ग मौजूद थे। यह बैठक राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग और उत्तर प्रदेश के आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय (डीईएस) के बीच एक दिवसीय राज्य स्तरीय संवाद से पहले आयोजित की गई।

मुख्यमंत्री ने आंकड़ों की गुणवत्ता में सुधार, विशेष रूप से राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, रोज़गार संकेतकों और औद्योगिक सांख्यिकी के आकलन में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) और राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) की ओर से सहयोग के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने सीएम डैशबोर्ड और वन ट्रिलियन इकोनॉमी मिशन जैसी पहलों के माध्यम से आंकड़ों पर आधारित योजना बनाने और वास्तविक समय पर निगरानी के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता पर भी बल दिया।

बैठक में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष ने साक्ष्य-आधारित लोक नीति निर्माण में विश्वसनीय सांख्यिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) अनुमान, मूल्य सांख्यिकी और सर्वेक्षण डिज़ाइन जैसे पद्धतिगत और तकनीकी क्षेत्रों में राज्य को सहयोग देने के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की प्रतिबद्धता दोहराई।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग ने "सांख्यिकी सुदृढ़ीकरण के लिए सहायता (एसएसएस)" योजना के अंतर्गत राज्य के साथ मंत्रालय के निरंतर सहयोग पर बल दिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि उत्तर प्रदेश को आधुनिक सांख्यिकीय अवसंरचना के विकास, डेटा प्रबंधन प्रणालियों को सुदृढ़ बनाने और उभरती हुई पद्धतियों तथा प्रौद्योगिकियों के संबंध में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अधिकारियों के प्रशिक्षण और कार्यशालाओं के आयोजन के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती रहेगी।

आयोग ने उच्च स्तरीय बैठक में कई सांख्यिकीय क्षेत्रों में राज्य की प्रगति की सराहना की गई। फिलहाल, उत्तर प्रदेश उन प्रमुख राज्यों में से एक है जिनमें मुद्रास्फीति की दर सबसे कम है और यह नियमित रूप से राज्य-स्तरीय औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) जारी करता है। उत्तर प्रदेश का आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय (डीईएस) आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस), घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) और असंगठित क्षेत्र के उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण (एएसयूएसई) जैसे राष्ट्रीय सर्वेक्षणों में भी सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है।

बैठक में जीडीपी और आईआईपी के लिए आधार वर्ष को 2022-23 में संशोधित करने पर चर्चा की गई और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने नई सामग्री बास्केट और फ़ैक्टरी फ़्रेम विकसित करने में पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।

आयोग ने सांख्यिकीय आंकड़ों को शासन और विकास योजना के साथ एकीकृत करने में उत्तर प्रदेश के आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय (डीईएस) के प्रयासों की सराहना की। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष ने राज्य को डिजिटल और सेवा-आधारित आर्थिक गतिविधियों से जुड़े नए और उभरते क्षेत्रों को शामिल करने के लिए अपने सांख्यिकीय कवरेज का और विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया।

आयोग ने मुख्यमंत्री ने सुझावों का स्वागत किया और कहा कि राज्य सरकार सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय तथा राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के साथ घनिष्ठ सहयोग के लिए तत्पर है। उन्होंने कहा कि कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रगति को मापने के लिए मज़बूत और विश्वसनीय आंकड़े आवश्यक हैं। उन्होंने राज्य में सभी सांख्यिकीय पहलों के लिए निरंतर संस्थागत समर्थन का आश्वासन दिया।

यह वार्ता केंद्र और राज्य सांख्यिकीय एजेंसियों के बीच मज़बूत समन्वय की दिशा में सकारात्मक कदम है। दोनों पक्षों ने उत्तर प्रदेश के आर्थिक परिवर्तन और समावेशी विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में प्रभावकारी सहायता के लिए पारदर्शी, प्रौद्योगिकी-सक्षम और डेटा-संचालित सांख्यिकीय ढांचा विकसित करने के अपने साझा उद्देश्यों की पुष्टि की।

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