नयी दिल्ली, सितंबर 27 -- हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में स्थित शीत मरुस्थल बायोस्फीयर रिजर्व को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की नवीनतम सूची में बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में शामिल किया गया है।

इसके साथ ही भारत में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त कुल बायोस्फीयर रिजर्व की संख्या 13 हो गयी है। लगभग 7,770 वर्ग किलोमीटर के ऊबड़-खाबड़ भूभाग को पसरा हुआ और ग्लेशियल घाटियों और अल्पाइन पठारों से लेकर 3,300 से 6,600 मीटर की ऊंचाई वाले कुछ रेगिस्तानों तक इसमें किब्बर और चंद्रताल वन्यजीव अभयारण्यों के साथ पिन वैली राष्ट्रीय उद्यान भी शामिल है।

यूनेस्को की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह रिजर्व दुनिया के सबसे ठंडे और शुष्क पारिस्थितिकी तंत्रों में से एक है, जिसमें समृद्ध जैव विविधता है। इसमें संवहनी पौधों की 732 प्रजातियां शामिल हैं, जिनमें से 30 प्रजातियां केवल भारतीय हिमालय में पाई जाती हैं। यह प्रतिष्ठित वन्यजीवों जैसे मायावी हिम तेंदुआ, हिमालयन आइबेक्स, नीली भेड़ और दुर्लभ हिमालयी भेड़िये को आश्रय स्थली है, जबकि ऊपर आसमान गोल्डन ईगल और हिमालयन स्नोकॉक जैसे राजसी पक्षियों से सुशोभित है। बिखरे हुए गांवों में लगभग 12,000 निवासी पारंपरिक आजीविका को बनाए रखते हैं जिसमें याक और बकरी चराना, जौ की खेती, तिब्बती हर्बल दवा और बौद्ध मठ परंपराओं में निहित सामुदायिक शासन शामिल है।

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