लखनऊ , नवंबर 23 -- निर्वासित तिब्बती सरकार (केंद्रीय तिब्बती प्रशासन-सीटीए) के राष्ट्रपति पेम्पा त्सेरिंग ने कहा है कि चीन युवा पीढ़ी को तिब्बत की पहचान से दूर करने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने कहा तिब्बत की आबादी 75 लाख है। जिसमें दस लाख की आबादी चार साल के बच्चे से लेकर युवाओं की है। चीन इन युवाओं को बोर्डिंग स्कूल में डाल कर इन्हेंतिब्बत की भाषा, संस्कृति और धार्मिक भावनाओं से दूर कर रहा है। जबकि चीन के बोर्डिंग स्कूल की भाषा चीनी है।
एक दिन पूर्व लखनऊ पहुंचे श्री पेम्पा त्सेरिंग ने रविवार को वीवीआइपी गेस्ट हाउस में /यूनीवार्ता/ से बातचीत की। उन्होंने कहा कि तिब्बती बौद्ध संस्थानों को चीनीकरण के उद्देश्य से बनाई गई नीतियों के तहत बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि तिब्बती बौद्ध संस्थानों को चीनीकरण के उद्देश्य से बनाई गई नीतियों के तहत बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है। चीन तिब्बत को स्वायत्त तो बताता है पर स्वतंत्रता वाली कोई बात नही दिखती है। इस दौरान उन्होंने तिब्बती इतिहास, संस्कृति और तिब्बत की वर्तमान स्थिति पर एक व्यापक प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि तिब्बती लिपि देवनागरी से विकसित हुई थी।
उन्होंने भारत की प्राचीन नालंदा परंपरा की बौद्ध शिक्षाओं को संरक्षित करने में तिब्बत की दीर्घकालिक भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ये सांस्कृतिक परंपराएं प्राचीन भारतीय ज्ञान के एक महत्वपूर्ण भंडार के रूप में काम करती रहती हैं। 8-13 वीं शताब्दी के दौरान बौद्ध धर्म से जुड़े काफी सारे ग्रन्थों का अनुवाद किया गया और अब इनका संस्कृत भाषा मे अनुवाद करने पर काम हो रहा है।
उन्होंने दुनिया भर में तिब्बत की आजादी को लेकर जनसमर्थन जुटाने और चीन से आजादी के बारे में पूछने पर कहा कि बहुत लोग अभी तिब्बत की स्थिति से अनजान है। इसलिए सभी को जानकारी देना जरूरी है। जहां तक चीन से आजादी की बात है तो यह आमने सामने बैठ कर बात करने पर ही हल हो सकता है। उन्होंने कहा कि हम लड़ाई के पक्षधर नही है। तिब्बत को लेकर भारत चीन से लड़ेगा नहीं और न ही नाटो या अमेरिका लड़ेगा। ऐसे में बगैर बैठे मसला हल नही हो सकता है।
भारत-चीन के सुधरते सम्बन्धों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि कभी दोनों देश दो कदम आगे बढ़ते हैं तो कभी पीछे। उन्होंने कहा कि भारत के साथ उनके काफी गहरे सम्बन्ध हैं। इसके लिए भारत सरकार के काफी शुक्रगुजार हैं। इस दौरान तिब्बती राष्ट्रपति पेम्पा त्सेरिंग ने तिब्बत में बड़े पैमाने पर बांध निर्माण परियोजनाओं के बारे में चिंता व्यक्त की और चेतावनी दी कि इन विकास कार्याें का डाउनस्ट्रीम देशों पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है।
इससे पहले राष्ट्रपति पेम्पा त्सेरिंग ने आज सुबह राजधानी लखनऊ में कई राजनीतिक हस्तियों से भेंट की। इस दौरान उन्हाेंने तिब्बत की वर्तमान दशा और दिशा पर चर्चा की और इसकी स्वायत्तता बनाए रखने में सहयोग मांगा। इसके बाद राष्ट्रपति ने वॉरियर्स डिफेंस अकाडमी लखनऊ में सेना के भावी अधिकारियों को संबाेधित किया। उन्हाेंने तिब्बती इतिहास, संस्कृति और तिब्बत की वर्तमान स्थिति पर विस्तार से जानकारी दी। कोर ग्रुप फॉर तिब्बतियन काज के क्षेत्रीय संयोजक (यू.पी. एवं उत्तराखंड) डॉ. संजय शुक्ला ने कार्यक्रम की प्रस्तावना पर प्रकाश डाला।
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