गांधीनगर , अक्टूबर 01 -- गुजरात के मेहसाणा जिला में 'वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेन्स' नौ-दस अक्टूबर को आयोजित होने जा रही है, जिसमें बागवानी विकास और किसानों तथा उद्यमियों के लिए नेटवर्किंग के अवसर प्रदर्शित किये जायेंगे।
सूत्रों ने बुधवार को बताया कि केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेन्ट ऑफ हॉर्टीकल्चर (एमआईडीएच) के अंतर्गत फल एवं सब्जियों के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर फॉर एक्सीलेंस सीओईएस) की स्थापना हेतु निरंतर सहयोग प्रदान किया जा रहा है। एमआईडीएच के तहत देशभर में कुल 58 उत्कृष्टता केंद्रों को स्वीकृति दी गयी है, जिनमें से गुजरात में फल और सब्जियों के लिए चार उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किये गये हैं। केन्द्र सरकार ने इन उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना के लिए इज़रायल, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग समझौते किये हैं। इसके अलावा, इन केंद्रों की स्थापना में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), दिल्ली जैसे भारतीय अनुसंधान संस्थानों से भी तकनीकी सहायता प्राप्त की जा रही है। उत्कृष्टता केंद्रों का उद्देश्य नवीनतम बागवानी उत्पादन तकनीकों के प्रदर्शन, प्रशिक्षण और प्रसार के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करना है।
ये केंद्र क्षमता निर्माण, पौध सामग्री की आपूर्ति और किसानों को आधुनिक तकनीकों को अपनाने में सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अनुसंधान और खेत स्तर की प्रथाओं के बीच की खाई को पाटते हुए ये केंद्र उच्च उत्पादकता, बेहतर गुणवत्ता और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करते हैं।
उत्कृष्टता केंद्र नवाचार को प्रोत्साहित करते हैं और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हैं, साथ ही किसान समुदाय के लिए आर्थिक लाभ भी उत्पन्न करते हैं। ये केंद्र आधुनिक कृषि पद्धतियों का प्रदर्शन करते हैं और किसानों, उद्यमियों और कृषि विस्तार कार्यकर्ताओं को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। इन प्रयासों के माध्यम से, उत्कृष्टता केंद्र भारत के बागवानी क्षेत्र को रूपांतरित करने में एक महत्वपूर्ण घटक बन गये हैं।
उत्तर गुजरात में बागवानी विकास के लिए दो उत्कृष्टता केंद्र (सीओईएस) कार्यरत हैं, जो अनुसंधान, फसल मानकीकरण और तकनीकी अपनाने के क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं। ये केंद्र तकनीकी परामर्श सेवायें प्रदान करते हैं तथा उच्च गुणवत्ता वाली पौध सामग्री का उत्पादन कर किसानों की उत्पादकता बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। सबरकांठा जिले के वडराड में स्थित 'संरक्षित खेती एवं सब्जियों में प्रिसिजन फार्मिंग हेतु उत्कृष्टता केंद्र' की स्थापना 2015 में हुई थी और तब से इसने कई प्रभावशाली पहलें की हैं। अपने पौध उत्पादन कार्यक्रम के तहत केंद्र ने अब तक 1.4 करोड़ से अधिक सब्जी पौधों का उत्पादन किया है, जिससे उन्नत किस्मों को बड़े पैमाने पर अपनाने में मदद मिली है। हर वर्ष केंद्र द्वारा 18 अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन आयोजित किये जाते हैं, जिनमें उन्नत खेती पद्धतियों को प्रदर्शित किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं अध्ययन भ्रमणों के माध्यम से 1,13,455 से अधिक किसानों और अधिकारियों को लाभ प्राप्त हुआ है। इन भ्रमणों में भाग लेने वाले प्रतिभागी नवाचारों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करते हैं। केंद्र में आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएं और प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टीओटी) कार्यक्रम भी नियमित रूप से आयोजित किये जाते हैं, जिससे यह केंद्र तकनीक हस्तांतरण और कौशल विकास का प्रमुख केंद्र बन चुका है। यह केंद्र बड़े पैमाने पर उच्च अंकुरण क्षमता वाली सब्जी पौधों के उत्पादन पर भी विशेष ध्यान देता है, जिनकी अंकुरण दर कुछ मामलों में 90 प्रतिशत तक रही है, जिससे किसानों को बेहतर उपज प्राप्त होती है। मेहसाणा जिले के विसनगर में स्थित 'फल एवं नींबू वर्गीय फसलों हेतु उत्कृष्टता केंद्र' में आधुनिक संरक्षित खेती की सुविधाएं उपलब्ध हैं। केंद्र में दो नेट हाउस (1,800 वर्ग मीटर), चार पॉली टनल (1,800 वर्ग मीटर) और फैन-पैड पॉली हाउस (1,100 वर्ग मीटर) जैसी संरचनायें हैं, जिनमें नियंत्रित वातावरण में फसल उत्पादन किया जाता है।
यह केंद्र स्थानीय जलवायु के अनुकूल नई नींबू किस्मों का परीक्षण, रोगमुक्त एवं स्वस्थ पौधों का उत्पादन, और ड्रिप सिंचाई, फर्टिगेशन तथा संरक्षित खेती जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रदर्शन करता है। किसानों की जानकारी को सशक्त बनाने हेतु यह केंद्र विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करता है, जिनमें नींबू वर्गीय फसलों की खेती, पोषक तत्व प्रबंधन, कटाई-छंटाई, नर्सरी प्रबंधन, कीट नियंत्रण एवं जैविक खेती जैसे विषय शामिल हैं। इसके अलावा, भूमिहीन खेतिहर मजदूरों के लिए विशेष प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं, जिससे उनकी आजीविका के अवसर बेहतर होते हैं। ये पहलें किसानों को व्यावहारिक जानकारी प्रदान करती हैं और उन्हें प्रभावी खेती पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं।
आगामी 'वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेन्स (उत्तर गुजरात, मेहसाणा जिला)' नौ-दस अक्टूबर को आयोजित होने जा रहा है, जिसमें उत्तर गुजरात के बागवानी विकास और किसानों तथा उद्यमियों के लिए नेटवर्किंग के अवसर प्रदर्शित किए जाएंगे। इन दोनों उत्कृष्टता केंद्रों की विविध गतिविधियों के माध्यम से उत्तर गुजरात में बागवानी क्षेत्र में बदलाव लाने, किसानों को सशक्त बनाने और आधुनिक व आत्मनिर्भर कृषि क्षेत्र के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा रहा है।
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