देवबंद (सहारनपुर) , अक्टूबर 11 -- देवबंदी विचारधारा मानने वाले अफगानिस्तान के युवा विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने शनिवार को स्वीकार किया कि उनकी भारत यात्रा से पाकिस्तान हुक्मरान में जबरदस्त बेचैनी है।
देवबंदी विचारधारा के शिक्षण केंद्र दारुल उलूम के अतिथि गृह में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि भारत और अफगानिस्तान के संबंध ऐतिहासिक और हजारों साल से हैं। उन्हें भारत में उम्मीद से ज्यादा तवज्जो मिली है। उन्हें भरोसा है कि भारत से उनके मुल्क के रिश्तों में मजबूती और गर्माहट आएगी।
वर्ष 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के सत्ता संभालने के बाद वहां के किसी भी मंत्री की यह पहली भारत यात्रा है। वह नौ अक्टूबर को भारत आए थे और 16 अक्टूबर को उनकी वतन वापसी है। शुक्रवार को नई दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से हुई बातचीत को उत्साहजनक बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत के साथ कारोबार बढ़ेगा। उन्हें यह भी विश्वास है कि भारत देर- सबेर उनकी सरकार को मान्यता दे देगा।
श्री मुत्ताकी का दारूल उलूम में जोश-खरोश से स्वागत किया गया। संस्था के प्रमुख मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने संस्था का इतिहास और उसकी स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और यहां की शिक्षा प्रणाली की जानकारी दी। मोहतमिम नोमानी ने कहा कि यदि अफगानी छात्रों को दोनों सरकारें दारूल उलूम में शिक्षा देने के दरवाजे खोलती है तो वह उसका स्वागत करेंगे। जमीयत उलमाए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं दारूल उलूम के सदर मुदर्रिस मौलाना अरशद मदनी ने उन्हें इस संस्था से पुराने रिश्तों की तफसील से जानकारी दी।
अमीर खान मुत्ताकी ने मौलाना अरशद मदनी के प्रति बहुत सम्मान दिखाया। गौरतलब है कि मौलाना अरशद मदनी के मरहूम पिता मौलाना हुसैन अहमद मदनी के खास शिष्यों में रहे अफगानिस्तान के सम्मानित उलेमा मरहूम अब्दुल हक हक्कानी के वहां स्थापित किए गए मदरसे में ही अमीर खान मुत्ताकी ने तालीम हांसिल की है। दारूल उलूम इलाके में जब अमीर खान मुत्ताकी पहुंचे तो इस संस्था के सारे प्रबंध ध्वस्त हो गए।
जिलाधिकारी मनीष बंसल और एसएसपी आशीष तिवारी ने व्यवस्था संभाली। सरकारी अमला बड़ी मुश्किल से विदेशी मेहमान और उनके साथियों को दारूल उलूम के मेहमान खाने में किसी तरह लेकर पहुंचे। यहां तलबाओं के मदरसे में सभी जगह बड़ी संख्या में जम-जाने के कारण विदेश मंत्री के सभी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम रद्द हो गए। अमीर खान के संस्था के उपकुलपति अब्दुल खालिक मद्रासी, दारूल उलूम वक्फ के मोहतमिम मौलाना सुफियान कासमी आदि ने उनसे मुलाकात कर दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत होने की उम्मीद जताई।
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