नयी दिल्ली , दिसंबर 24 -- वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा है कि दूसरे देशों और बाजार समूहों से किये जाने वाले मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के अंतर्गत पेशेवर सेवाओं पर कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं को शामिल किये जाने से भारतीय व्यावसायिक सेवाओं के लिए वैश्विक बाजारों में नये द्वार खुल रहे हैं।

श्री अग्रवाल ने यहां वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग द्वारा व्यावसायिक सेवाओं पर एक चिंतन शिविर का उद्घाटन करते हुए व्यावसायिक सेवाओं के व्यापार के उदारीकरण को लेकर हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय, घरेलू पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार और विभिन्न एफटीए के तहत व्यावसायिक सेवाओं पर कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि व्यावसायिक सेवाओं में अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अधिक खुलापन भारत की अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएगा। उन्होंने पेशेवर संगठनों को ज्ञान साझा करने और बेहतर सहयोग के लिए मंच प्रदान करने हेतु अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन करने और उनमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

वाणिज्य विभाग ने "वैश्विक क्षितिज का विस्तार: भारतीय पेशेवरों के लिए अवसर" विषय पर भारतीय चार्टर्ड लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) और सेवा निर्यात संवर्धन परिषद (एसईपीसी) के सहयोग से यह चिंतन शिविर मंगलवार को वाणिज्य भवन में आयोजित किया था। इसका उद्घाटन करते हुए वाणिज्य सचिव श्री अग्रवाल ने देश की आर्थिक वृद्धि के लिए सेवा व्यापार के महत्व पर जोर दिया देते हुए माल निर्यात की तुलना में घरेलू मूल्यवर्धन में इसके मजबूत योगदान पर जोर दिया।

उन्होंने भारत में युवा आबादी के बड़े हिस्से को पेशेवर सेवा बाजार की दृष्टि से महत्वूपूर्ण बताते हुए कहा कि इस क्षमता को साकार करने के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना और पेशेवरों को बदलते वैश्विक बाजार की जरूरतों और तकनीकी विकास के अनुरूप उन्नत कौशल से लैस करना महत्वपूर्ण है।

चर्चा में वाणिज्य विभाग के संयुक्त सचिव दर्पण जैन ने चिंतन शिविर का संदर्भ प्रस्तुत किया। इसमें आईसीएआई के अध्यक्ष सीए चरणजोत सिंह नंदा, भारतीय नर्सिंग परिषद (आईएनसी) के अध्यक्ष डॉ. टी. दिलीप कुमार और काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर (सीओए) के अध्यक्ष प्रोफेसर अभय विनायक पुरोहित ने अपने अपने क्षेत्र के दृष्टिकोण प्रस्तुत किए।

आईसीएआई के उपाध्यक्ष सीए प्रसन्ना कुमार डी और एसईपीसी की अध्यक्ष डॉ. उपासना अरोरा ने भी उद्घाटन सत्र के दौरान प्रतिभागियों को संबोधित किया। चिंतन शिविर में कुल चार सत्र में आयोजित किया गए थे। इनमें वैश्विक स्तर पर काम करने योग्य पेशेवर बनाना; पारस्परिक मान्यता समझौतों (एमआरए) और समझौता ज्ञापनों (एमओयू) के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता को मजबूत करना; विदेशों में नेटवर्क विकसित करना और व्यावसायिक सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एफटीए का लाभ उठाना शामिल था।

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